भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास रुपे और यूपीआई जैसे भारतीय फिनटेक समाधानों की पहुंच को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने की मंशा रखते हैं. इस उद्देश्‍य की पूर्ति के लिए आरबीआई विदेशों में यूपीआई इंफ्रास्ट्रक्चर की तैनाती, क्यूआर कोड-आधारित भुगतान की सुविधा, और यूपीआई को अन्य देशों की भुगतान प्रणालियों से जोड़ने की दिशा में काम कर रहा है. लेकिन, वैश्विक लेन-देन को तेज़ और सस्ता बनाने के लिए UPI जैसे भुगतान माध्‍यमों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपस में जोड़ने में अमेरिका अड़ंगा डाल रहा है. अमेरिका के फेडरल रिजर्व सिस्टम के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य क्रिस्टोफर जे. वालर ने यूपीआई जैसे विकल्‍पों की तेजी से भुगतान करने की क्षमता पर ही सवाल उठा दिया है.ग्लोबल फिनटेक फेस्ट में क्रिस्टोफर जे. वालर ने यूपीआई जैसे भुगतान विकल्‍पों की क्षमता पर सवाल उठाते हुए कहा, “आज के उपभोक्ता और व्यवसाय दुनिया के किसी भी हिस्से में भुगतान भेज सकते हैं, लेकिन वे चाहते हैं कि ये भुगतान तेज़ और सस्ते हों, जैसे हम हमेशा तेज़ उड़ानें और सस्ते हवाई किराए चाहते हैं. हालांकि, मुझे पूरी तरह विश्वास नहीं है कि इंटरलिंकिंग व्यवस्थाएं इन लक्ष्यों को हासिल कर सकेंगी.” इसी फेस्‍ट में आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास और भारतीय रिजर्व बैंक के कार्यकारी निदेशक पी. वासुदेवन ने भी भाग लियायूपीआई को वैश्विक बनाने में जुटा है आरबीआई

आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा, “हमारा मुख्य एजेंडा विदेशों में यूपीआई इंफ्रास्ट्रक्चर की तैनाती, अंतरराष्ट्रीय व्यापारी स्थानों पर यूपीआई ऐप के माध्यम से क्यूआर कोड-आधारित भुगतान की सुविधा प्रदान करना और सीमा पार प्रेषण के लिए यूपीआई को अन्य देशों की फास्ट पेमेंट सिस्टम से जोड़ना है.” उन्होंने यह भी बताया कि भूटान, नेपाल, श्रीलंका, सिंगापुर, यूएई, मॉरीशस, नामीबिया, पेरू, फ्रांस और कुछ अन्य देशों में इस दिशा में पहले ही प्रगति हो चुकी है