बीच बाजार आवारा पशु उतर आए जोर आजमाइश पर

- राहगीर चपेट में आते-आते बचे, कमोबेश पूरे शहर का यही हाल

- पालिका प्रशासन के पास शहर में बे-रोकटोक विचरण करते आवारा पशुओं से निपटने की नहीं है कोई ठोस योजना

आबूरोड (सिरोही)। शहर के मेन बाजार में मंगलवार को रिमझिम बारिश के दौरान सड़कों पर बे-रोकटोक विचरण करते दो सांड़ों ने जोर-आजमाइश कर दी। गनीमत रही कि एक-दो राहगीर महिलाएं सांड़ों की इस लड़ाई के दौरान उनकी चपेट में आने से बाल-बाल बच गई, अन्यथा हादसा होना तय था। यह हाल महज मेन बाजार का ही नहीं, वर शहर के अधिकतर रिहायशी इलाकों के गली-मोहल्लों, बाजार व प्रमुख सड़क मार्गों का है, जहां अक्सर आपस में लड़ते आवारा पशु दिखाई दे जाते हैं। विड़म्बना इस बात की है कि शहरवासियों को आवारा पशुओं से निजात दिलाने की जिम्मेदारी पालिका प्रशासन की है, पर लगता है कि पालिका के पास शहरवासियों की इस समस्या से निपटने की कोई ठोस और कारगर योजना नहीं है। अभी तक तो पालिका प्रशासन ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है, जिससे पता चल पाए कि निकट भविष्य में भी प्रशासन इस समस्या से निपटने के लिए कोई ठोस कार्रवाई करना चाहता है। 

ऐसे समय पर बाजार में स्थिति हो जाती है अत्यंत विकट

जब आवारा पशु बीच बाजार जोर आजमाइश पर उतर जाते है तब बाजार की स्थिति अत्यंत विकट हो जाती है। बाजार में आमदिनों में लोगों की खासी भीड़भाड़ रहती है। दुकानदार अपनी-अपनी दुकान के आगे अपने दुपहिया वाहन पार्क कर लेते हैं। फिर खरीदारी करने आने वाले भी दुपहिया वाहन बेतरतीब ढंग से खड़े कर देते हैं। आबूरोड के कमोबेश अधिकतर बाजार पहले से ही संकरे है। फिर, इन वाहनों की बदौलत और अधिक संकरे लगने लगते हैं। ऐसे सूरत-ए-हाल में कई बार तो राहगीरों को चलने तक का मार्ग नहीं मिलता। इस बीच कई बार आवारा पशु भीड़ में घुस जाते हैं। उस दौरान इन आवारा पशुओं से बचने के लिए राहगीरों को कहीं भी जाने का रास्ता नहीं मिलता। ऐसी स्थिति में इनकी चपेट में आकर जख्मी होने का खतरा मंडराता रहता है। शहर के बीचों-बीच से होकर गुजरते मुख्य सड़क मार्ग का भी कमोबेश यही हाल है। आवारा पशु वहां झुंड में सड़क के बीचों-बीच बैठ जाते हैं। कई बार आपस में भिड़न्त भी हो जाती है। ऐसी स्थिति में वाहन चालकों, खास तौर पर दुपहिया व तिपहिया वाहन चालकों को खुद को व अपने वाहनों को बचाकर निकलना दुश्वार हो जाता है। पर, पालिका प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं करता। पालिका प्रशासन अभी तक तो महज कागजी कार्रवाई तक ही सीमित रहा है। पालिका के पास आवारा पशुओं को पकड़कर उन्हें गोशाला में जमा करवाने को स्टाफ तक नहीं है। ऐसी स्थिति में पालिका से इस समस्या से शहरवासियों को निजात दिलाने की उम्मीद करना बेमानी ही होगा। 

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