जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव को लेकर सट्टा बाजार का सुरूर अपने पूरे शबाब पर है। विधानसभा की 90 सीटों वाले इस राज्य में अभी से ही जीत और हार पर बाजी भी लगनी शुरू हो चुकी है। हालांकि, चुनाव का परिणाम 4 अक्टूबर को आएगा लेकिन सट्टा बाजार में भविष्य पर दांव खेला जा रहा है। फलौदी, डबवाली से लेकर मुंबई के सट्टा बाजार गर्माया हुआ है। इस बार बीजेपी जीत रही है या कांग्रेस इसका भी अनुमान लगाया जा रहा है। इसके साथ ही नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी पर भी दांव बड़ा है। यदि ऐसा हुआ तो चुनाव बेहद दिलचस्प हो सकता है। वहीं, भाजपा के लिए मुस्लिम वोट में सेंध लगाने की सबसे बड़ी चुनौती है। चुनाव आयोग ने 15 अगस्त को जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर दी। 10 साल बाद जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में 18 व 25 सितंबर और एक अक्टूबर को मतदान होगा। विधानसभा के लिए मतों की गणना चार अक्टूबर को होगी। छह अक्टूबर तक चुनावी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। जम्मू कश्मीर में पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 निरस्त कर उसे दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था। जम्मू-कश्मीर में में अंतिम विधानसभा चुनाव वर्ष 2014 में हुआ थे। जम्मू-कश्मीर में 2014 में 87 सीटों पर विधानसभा चुनाव हुआ था। जम्मू की 37, कश्मीर की 46 सीटों और लद्दाख की 6 सीटों पर वोटिंग हुई थी। घाटी में 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में वोटिंग प्रतिशत 65 फीसदी दर्ज किया गया था। किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। बीजेपी ने 25 सीटों के साथ 23 फीसदी वोट मिले। वहीं, पीडीपी ने 28 सीटों के साथ 22 प्रतिशत वोट हासिल किया। नेशनल कॉन्फ्रेंस को 15 और कांग्रेस को 12 सीटें ही मिली थीं। दो बड़े दलों बीजेपी-पीडीपी ने गठबंधन में सरकार बनाई थी। महबूरा मुफ्ती सीएम बनीं, लेकिन ये सरकार अपना कार्यकाल पूरा ही नहीं कर सकी। जम्मू-कश्मीर में नए परिसीमन के बाद कुल 114 विधानसभा सीटें हैं, लेकिन इसमें से 90 सीटों पर ही चुनाव होंगे। क्योंकि, 24 सीटें पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर में हैं, जिन पर चुनाव नहीं होने हैं। वर्ष 2019 में जब अनुच्छेद 370 हटा और लद्दाख अलग केंद्रशासित प्रदेश बना तो मार्च 2020 में गठित परिसीमन आयोग ने सीटों का पुनर्गठन किया। तब विधानसभा सीटों की संख्या 107 से बढ़कर 114 हुई। छह सीटें जम्मू और एक सीट कश्मीर संभाग में बढ़ी। पीओके की 24 सीटें पहले की तरह बरकरार रखीं गईँ। इस प्रकार देखें तो 2014 में जहां 83 सीट पर चुनाव हुए थे, इस बार 90 सीट पर होंगे। भारतीय जनता पार्टी ने 2014 में अपना परचम लहराते हुए जम्मू कश्मीर में पहली बार सर्वाधिक सीटों पर जीत दर्ज की थी। उस समय ना तो धारा 370 हटी थी ना ही आतंक का इतना सफाया हुआ था। अब कश्मीर से आतंकी का पूरी तरह से सफाया हो चुका है। ऐसे में इस बार कश्मीर में बीजेपी क्या गुल खिलाएगी। यह भविष्य के गर्भ में है। लेकिन कश्मीर बीजेपी के लिए हमेशा कमजोर कड़ी रहा है। तो जम्मू में बीजेपी ने मजबूती दिखाई है। विधानसभा चुनाव से पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन ने कश्मीर घाटी में अपनी स्थिति मजबूूत कर ली है। अब देखना यह है कि सीट बंटवारे के साथ किस तरह से कांग्रेस और एनसी अपना परचम फहराती है। कठुआ, डोडा और राजोरी में भी एनसी की अच्छी पैठ है। वहीं, जम्मू में कांग्रेस करामाती है।
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