उच्चतम न्यायालय में गुरुवार को कोलकाता डॉक्टर रेप और मर्डर केस की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायीधीश सहित अन्य न्यायाधीशों ने कई गंभीर टिप्पणियां की। कोलकाता केस में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा कर रहे हैं। उन्होंने इस केस में पूरी सरकार, प्रशासन और पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा दिए। इस मामले में पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ​सहित 21 वकीलों की टीम ने पक्ष रखा तो केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वकील माधव सिंहल, वकील अर्कज कुमार, वकील स्वाति घिल्डियाल और एमके मारोरिया पेश हुए। ख्य न्यायाधीश ने कहा कि पुलिस डायरी की इंट्री दिखा रही है कि क्राइम सीन को पोस्टमार्टम के बाद सरंक्षित किया गया। यह भी लिखा गया कि 11:30 बजे अननेचुरल डेथ लिखा गया। इस मामले में घटनास्थल पर कई अहम सुराग थे लेकिन सरंक्षित करने हुई देरी के कारण इसके नष्ट होने का अंदेशा है। डायरी एंट्री दिखाती है कि क्राइम सीन को पोस्टमार्टम के बाद संरक्षित किया गया। क्या सीबीआई से कोई अधिकारी आया है? जज ने पूछा कि मैम, क्या आप हमें समझा सकती हैं कि रिकॉर्ड में इतना अंतर क्यों है। 30 साल के करियर में ऐसा नहीं देखा। पुलिस अधिकारी के काम का तरीका बिल्कुल सही नहीं था. जस्टिस जेबी पारदीवाला ने पूछा कि पोस्टमार्टम कब हुआ? जवाबशाम 6.10 से 7.10 के बीच। जजजब आप बॉडी उठा रहे थे, तब आपको पता था कि यह अननेचुरल डेथ है। फिर भी रात 11.45 में FIR हुई। यह बहुत हैरान करने वाली बात है. सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि क्राइम सीन की भी वीडियोग्राफी तब हुई है, जब डॉक्टरों ने दबाव बनाया। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सुबह 10.10 बजे अननेचुरल डेथ और रात में क्राइम सीन का डिमार्केशन हुआ। यह बहुत गंभीर बात है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि बहुत परेशान करने वाली बात यह है कि मौत का समय सुबह 10 बजकर 10 मिनट दर्ज किया गया। क्राइम सीन को सीज 11.30 बजे रात को किया गया। तब तक यहां क्या हो रहा था? मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि हमें अस्पताल के हालात पता हैं। मैं खुद सरकारी अस्पताल के फर्श पर सोया हूं, जब वहां कोई नहीं होता था मैं जानता हूं कि डॉक्टर 36 घंटे से ज्यादा काम करते हैं।