श्री गोकरूणा चातुर्मास आराधना महोत्सव 

श्री ठाकुर जी ने जीवों के कल्याण के लिए इस भरतचरित्र के माध्यम से प्रेमाअमृत प्रकट किया है : मलूक पीठाधीश्वर 

रेवदर। नंदगांव में परम श्रद्धेय गोऋषि स्वामी श्री दत्तशरणानन्दजी महाराज की पावन निश्रा में चल रहे है श्री गोकरुणा चातुर्मास आराधना महोत्सव के तहत आज वेदलक्षणा गोमहिमा श्री भरत चरित्र कथा में मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्रदास देवाचार्य महाराज ने कहा कि श्री ठाकुर जी ने हम सब जीवों पर करुणा कृपा करने के लिए इस भरतचरित्र के माध्यम से प्रेमाअमृत प्रकट किया है। श्रीभरत चरित्रामृत ही प्रेमाअमृत है। जैसे देवता अमृतपान करके बलिष्ठ हो गए और आसुरी शक्ति पर उन्होंने विजय प्राप्त की। ऐसे ही इस भरत चरित्र रूपी चरित्रामृत का पान करके सुर साधु है वे इतने बलिष्ठ हो जाएंगे उनकी भक्ति में कोई बाधा उत्पन्न नहीं कर सकते है। वे देशकाल युग के प्रभाव से बच कर के वही भगवान का दिव्य प्रेम प्राप्त करेंगे। कृष्णावतार में गोपियां जिस प्रेम को प्राप्त करके धन्य हुई है। इसी प्रकार भरत चरित्र के आशय से वैसा ही प्रेम प्राप्त होगा। 

श्री गोकरूणा चातुर्मास आराधना महोत्सव में आयोजित हरिहर पूजन में आज दांतिया के ग्रामवासी मनोरथी रहे। कथा में सुरजकुंड के पूज्य अवधेश चैतन्य जी महाराज, पूज्य महंत चेतनानंदजी महाराज डण्डाली, सुधानंद जी महाराज, रविंद्रानंद जी महाराज, बलदेवदास जी महाराज, गोवत्स विट्ठल कृष्ण जी महाराज, गोविंद वल्लभदास महाराज, ब्रह्मचारी मुकुंद प्रकाश महाराज, पूज्य श्री गोडदास जी महाराज वृंदावन, राम मोहनदास जी महाराज, 121 दंडी स्वामी सहित भारतवर्ष के सैकड़ों त्यागी तपस्वी ऋषि मुनी मौजूद रहे।