या दुनिया भारत राज्य बिजनेस खेल रक्षाबंधन 2024 मनोरंजन लाइफस्टाइल धर्म टेक शिक्षा चुनाव वीडियो यूएस न्यूज़ स्पीकिंग ट्री Viral अपना बाजार टॉप रेटेड प्रोडक्ट्स विचार यात्रा विजुअल स्टोरीज़ वेब सीरीज टीवी सावन 2024 मोदी 3.0 फोटो धमाल ईपेपर मौसम ब्रीफ फाइनेंशियल लिटरेसी रीजनल सिनेमा लेटेस्ट न्यूज फैक्ट-चेक Hindi NewsWorldOther countriesNuclear Will Start Race Between Russia And America As Us Russia New Start Treaty End In 2026 अमेरिका और रूस में फिर होगी परमाणु हथियारों की होड़, खत्म हो रही 14 साल पुरानी संधि, जानें क्या होगा अंजाम अमेरिका और रूस ने परमाणु हथियारों पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए एक संधि की थी, जिसमें तय किया गया कि दोनों देश कितने परमाणु हथियार बना सकेंगे। यह संधि 2026 में खत्म होने वाली है। इस संधि के खत्म होने से परमाणु हथियारों की होड़ का खतरा बढ़ जाएगा। Reported byमृत्युंजय त्रिपाठी | Edited byविवेक सिंह | नवभारत टाइम्स 20 Aug 2024, 7:35 am फॉलो करे हाइलाइट्स अमेरिका और रूस में फिर शुरू होगी परमाणु हथियारों की होड़ साल 2026 में खत्म हो रही है दोनों के बीच न्यू स्टार्ट संधि हथियारों की होड़ रोकने के लिए दोनों देशों ने की थी संधि नवभारतटाइम्स.कॉम US Russia Nuclear Weapon दुनिया में रूस और अमेरिका के पास सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं ऐमजॉन स्मार्ट चॉइस लैपटॉप खरीदने का शानदार मौका, कीमत सिर्फ 27,990 से शुरू डील देखें ऐमजॉन स्मार्ट चॉइस लैपटॉप खरीदने का शानदार मौका, कीमत सिर्फ 27,990 से शुरू Livpure का 7 लीटर वाला मिनरल्स Water Purifier ₹16,490 से हुआ सीधा ₹7,999 का, आज ही उठा लें डिस्काउंट का फायदा डील देखें वॉशिंगटन/मॉस्को: दुनिया में परमाणु हथियारों का 90% जखीरा अमेरिका और रूस के पास है। साल 2010 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा और रूस के तत्कालीन राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने एक संधि पर हस्ताक्षर किए थे, जिसका नाम है- New START Treaty। इसमें START का मतलब है न्यू स्ट्रैटजिक आर्म रिडक्शन ट्रीटी। इस संधि के तहत यह निर्धारित कर दिया गया कि अमेरिका और रूस कितने परमाणु हथियार बना सकेंगे, ताकि यह संख्या एक नियंत्रण में रहे। इसमें यह भी तय किया गया कि कितनी मिसाइल बिल्कुल तैयार स्थिति में होंगी। यह संधि 2026 में खत्म होने वाली है। आइए, जानते हैं कि क्या है वह संधि, यह आगे बढ़ेगी या खत्म हो जाएगी, और फिर इसका अंजाम क्या होगा।संधि में क्या तय हुआ था?

इस संधि के तहत रूस और अमेरिका अधिकतम 1550 परमाणु मिसाइल, 700 लॉन्ग रेंज मिसाइल और बमर्स बिल्कुल तैयार स्थिति में रख सकते हैं। दोनों ही देश एक-दूसरे की न्यूक्लियर साइट के दौरे कर सकते हैं ताकि पता चले कि कोई संधि के नियमों का उल्लंघन तो नहीं कर रहा है। एक साल में इस तरह के 18 दौरे हो सकते हैं। साल 2011 में हुई संधि को 2021 में 5 साल के लिए और बढ़ा दिया गया। अब यह संधि फरवरी 2026 तक के लिए वैध है। लेकिन, रूस और अमेरिका के मौजूदा रुख को देखते हुए नहीं लग रहा कि संधि आगे बढ़ेगी। खासकर, रूस ऐसा नहीं चाहता है। यदि ऐसा हुआ तो दुनिया में एक बार फिर परमाणु हथियारों की होड़ मचने की आशंका है।

क्या है दिक्कत?

संधि के तहत अमेरिका और रूस, दोनों को एक-दूसरे के साथ परमाणु हथियारों की जानकारी शेयर करनी है और परमाणु साइट के दौरे भी करने की छूट है। लेकिन, मार्च 2020 में कोविड माहामारी के कारण दोनों देशों के बीच न्यूक्लियर साइट के दौरे रुक गए। नवंबर 2022 में साइट के दौरे को दोबारा शुरू करने के लिए अमेरिका और रूस के बीच मिस्र में मुलाकात तय हुई। लेकिन, रूस ने यह मुलाकात टाल दी और उसके बाद से रूस लगातार टाल-मटोल कर रहा है।

क्या हैं मौजूदा हालात?

यूक्रेन से युद्ध के बाद रूस को लगता है कि उसे अपने हथियारों की खेप बढ़ाने की जरूरत है। न्यू स्टार्ट ट्रीटी से इसमें रुकावट आ रही है। उधर, अमेरिका इस युद्ध में खुलकर यूक्रेन के साथ है और उसे हथियार भी दे रहा है। लिहाजा, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन ने फरवरी 2023 में ही इस ट्रीटी से खुद को अलग करने की घोषणा कर दी। हालांकि पूतिन के इस बयान के बाद रूस के विदेश मंत्रालय ने साफ किया कि संधि के मुताबिक युद्ध के लिए तैयार परमाणु मिसाइलों और हथियारों की संख्या पर जो पाबंदी है उसे रूस आगे भी मानता रहेगा।

कितनी मज़बूत है यह संधि?

अमेरिका का भी रूस पर भरोसा कम होता जा रहा है। अब वह रूस के परमाणु साइट के दौरे नहीं कर पा रहा तो उसे मौजूदा हालात की जानकारी भी नहीं मिल पा रही। कुछ रिपोर्ट में अमेरिकी अधिकारियों ने माना कि रूस नए हथियारों की तैयारी में लगा हो सकता है। वहीं, अमेरिकी अधिकारी भी इस तैयारी में हैं कि यदि संधि आगे नहीं बढ़ती है तो वे इस स्थिति में हों कि तुरंत ही नए हथियार तैयार हो सकें और रूस पर दबाव बना रहे। अमेरिका का कहना है कि रूस ने सैटलाइट को तबाह करने वाले कुछ परमाणु हथियार बनाए हैं, जिन्हें वह आर्बिट में तैनात करने वाला है। उधर, रूस खुलकर इस संधि को खत्म करने की चेतावनी दे चुका है। ऐसे में यह संधि समय के पहले ही कमजोर हो चुकी है और रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों देश अंदर ही अंदर एक-दूसरे के खिलाफ तैयारी में लगे हैं।

क्या यह अमेरिका पर दबाव बनाने की रणनीति है?

द इकॉनमिस्ट के अनुसार, सेंटर फॉर आर्म्स कंट्रोल एंड नॉन-प्रोलिफेरेशन के वरिष्ठ नीति निदेशक जॉन एरॉथ ने वॉशिंगटन पोस्ट को दिए एक इंटरव्यू में जो कहा, उसके मुताबिक रूस को खुद को ट्रीटी से अलग करने का ऐलान अमेरिका पर दबाव की एक रणनीति भी हो सकती है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन रूस के खिलाफ यूक्रेन के साथ खड़े नजर आए हैं। पूतिन बाइडन को दिखाना चाहते हैं कि वह क्या-क्या कर सकते हैं। ब्रिटिश न्यूजपेपर गार्जियन से एक इंटरव्यू में UN में 'इंस्टीट्यूट फॉर डिसार्मनेंट रिसर्च' के 'सेंटर ऑफ आर्म्स कंट्रोल एंड स्ट्रैटजिक वीपन प्रोग्राम' के सीनियर रिसर्चर एंड्री बाक्लिट्सकी भी इसी तरफ इशारा करते हैं। वह कहते हैं कि रूस आगे संधि से अलग हो सकता है। यह तय है कि वह अमेरिका को लेकर कठोर रवैया अख्तियार करेगा।

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तो क्या परमाणु युद्ध के मुहाने पर है दुनिया?

यूक्रेन से युद्ध के दौरान रूस कई बार परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी दे चुका है। इस बीच, चीन भी अपने हथियार बढ़ा रहा है। उधर, नॉर्थ कोरिया ने अपने परमाणु हथियार ले जाने के लिए इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल्स (ICBM) के टेस्ट तेज कर दिए हैं। हाल ही में नॉर्थ कोरिया ने रूस के साथ एक रक्षा संधि पर हस्ताक्षर किया है। नॉर्थ कोरिया ने रूस को तोपखाने के गोले दिए हैं। अमेरिका अनुमान नहीं लगा पा रहा है कि बदले में रूस उसे क्या दे रहा है? अमेरिका को डर है कि यह मिसाइल और अन्य वीपन टेक्नॉलजी हो सकती है। इसी तरह की चिंता ईरान को लेकर भी है, जिसने रूस को ड्रोन और मिसाइलें दी हैं। ईरान ने इस्राइल को हाल ही में चेताया था, जिसकी अमेरिका से दोस्ती है। अब ऐसे माहौल में यदि रूस-अमेरिका के बीच की संधि खत्म होती है तो दुनिया निश्चित ही हथियारों की एक बड़ी होड़ देखेगी, जिसका अंजाम अनिश्चित है।

दुनिया में कितने परमाणु हथियार?

अभी दुनिया में रूस, अमेरिका, चीन, फ्रांस, UK, भारत, पाकिस्तान, इस्राइल और उत्तर कोरिया परमाणु संपन्न देश हैं। शीत युद्ध की हथियारों की दौड़ 1986 में चरम पर थी, जब सोवियत संघ ने 40 हजार और अमेरिका ने 23 हजार से ज्यादा परमाणु हथियार जमा कर लिए थे। लेकिन, अब इसकी संख्या घटी है। एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में अभी करीब 13 हजार परमाणु हथियार हैं। भारत के पास 160 परमाणु हथियार हैं। युद्ध में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल अब तक दो बार ही किया गया है। अमेरिका ने 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराए थे, जिससे भारी तबाही हुई और लोग हताहत हुए।

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