लेटरल एंट्री के जरिये प्रशासनिक पदों पर विषय विशेषज्ञों की नियुक्ति के मामले को लेकर काफी बहस चल रही है। विपक्षी पार्टी समेत एनडीए के कई घटक दलों ने भी सरकार के फैसले की आलोचना की है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का कहना है कि सरकार का यह फैसला आरक्षण विरोधी है। वहीं, भाजपा का कहना है कि यूपीए सरकार के समय में ही लेटरल एंट्री का प्रस्ताव लाया जा चुका था। अश्विनी वैष्णव ने राहुल गांधी के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा ,"मनमोहन सिंह की 1976 में वित्त सचिव के पद पर नियुक्ति किस व्यवस्था के तहत हुई थी? तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आर्थिक विशेषज्ञ के रूप में मनमोहन सिंह को सीधे वित्त सचिव बनाया था, जो बाद में वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री भी बने। अश्विनी वैष्णव ने आगे कहा कि मनमोहन सिंह के अलावा मोंटेक सिंह अहलूवालिया को भी इसी तरह योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया। अश्विनी वैष्णव ने आगे कहा, कांग्रेस शासन में सैम पित्रोदा, वी कृष्षणमूर्ति, अर्थशास्त्री बिमल जालान, कौशिक विरमानी, रघुराम राजन जैसे लोगों को सरकार में शामिल किया गया। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि को 2009 से भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण का प्रमुख नियुक्ति किया गया था। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ,"एनडीए सरकार ने लेटरल एंट्री को लागू करने के लिए एक पारदर्शी तरीका बनाया है। यूपीएससी के माध्यम से पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से भर्तियां की जाएंगी। इस सुधार से प्रशासन में सुधार होगा।"