भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारतीय बैंकों में पैसा जमा कराने की दर लोन देने की दर से ज्‍यादा है. मार्च 2024 से जुलाई 2024 के बीच बैंकों में जमा ₹7.2 लाख करोड़ बढ़कर ₹211.9 लाख करोड़ हो गया है. यह पिछले वर्ष की इसी अवधि में जोड़ी गई राशि से 3.5% अधिक है. हालांकि, इसी अवधि में बैंक ऋण में भी वृद्धि हुई है, लेकिन यह जमा वृद्धि की तुलना में कम रही है. जुलाई 2024 के अंत तक, बैंक ऋण ₹168.1 लाख करोड़ पर था, जो मार्च के अंत से ₹3.8 लाख करोड़ की वृद्धि दर्शाता है. पिछले वर्ष की तुलना में यह 2.3 फीसदी अधिक है.बैंकों में जमा में वृद्धि का मुख्य कारण बैंक द्वारा जमा बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयास हैं. बैंक सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट्स (CDs) जैसे उच्च लागत वाले साधनों के माध्यम से भी धन जुटा रहे हैं. वहीं, बैंक ऋण में वृद्धि की गति पिछले कुछ समय से धीमी रही है. इसका मुख्य कारण भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ऋण पर लगाम लगाने के उपाय और उच्च आधार प्रभाव है. व्यक्तिगत ऋण (Personal Loan) और एमएसएमई ऋण (MSME Loan) में वृद्धि की वजह से लोन ग्रोथ ने कुछ रफ्तार पकड़ी. सालाना आधार पर इस साल लोन गोथ 13.6 फीसदी रही है जबकि पिछले साल यह 19.7 फीसदी थीऋण-जमा अनुपात

टाइम्‍स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, ऋण में धीमी वृद्धि और जमा में तेजी के कारण बैंकों का ऋण-जमा अनुपात लगातार दूसरे पखवाड़े में 80 फीसदी के नीचे बना हुआ है. HDFC और HDFC बैंक के विलय के कारण यह अनुपात थोड़ा बढ़ा है