राज्य सरकार में कृषि एवं आपदा प्रबंधन मंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे किरोड़ी लाल मीना ने मंत्री पद से अपना इस्तीफा 27 जून को सार्वजनिक किया था। उस इस्तीफे को रविवार को 54 दिन हो गए, लेकिन न तो इस्तीफा स्वीकार हुआ और न ही अस्वीकार की बात सरकार की तरफ से आई। खुद मीना भी कभी तो मंत्री के रूप में काम करते हुए दिखाई देते हैं तो कभी सरकारी सुविधाओं को छोड़ने का दावा करते हैं। हाल ही उन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर मंत्री के नाते सवाईमाधोपुर में झंडारोहण किया था। मीना मंत्री की हैसियत से भी तबादलों की नोटशीट चला रहे हैं और कभी-कभी छोटा-मोटा विभागीय काम भी करते हैं। पूर्वी राजस्थान में बाढ़ आई तो आपदा मंत्री के रूप में जायजा लेने के लिए उन्होंने हेलिकॉप्टर मांग लिया। ऐनवक्त पर मांगा गया हेलीकॉप्टर उपलब्ध नहीं हो सका तो वे अपनी निजी गाड़ी से ही दौरा करने निकल पड़े। राजस्थान में सरकार के गठन के बाद से ही किरोड़ी अंदर ही अंदर असंतोष जाहिर करने लगे थे। मंत्री बने और फिर विभागों का बंटवारा हुआ तो उससे वे खुश नहीं थे। किरोड़ी से जुड़े एक नेता ने बताया कि लोकसभा चुनाव से पहले उनकी भाजपा नेताओं से बातचीत हुई थी और यह तय हुआ था कि कृषि विपणन एवं ग्रामीण विकास-पंचायती राज विभाग भी उनको दे देंगे। विभाग देने का आश्वासन तो पूरा नहीं हुआ, वहीं पंचायती राज विभाग के पांच टुकड़े कर दिए गए। लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपने भाई के लिए दौसा लोकसभा क्षेत्र से टिकट मांगा, वह भी नहीं मिला। इससे वे फिर उखड़ गए। मीना को पीएम नरेन्द्र मोदी के नजदीक माना जाता है। किरोड़ी ने दावा किया था कि पीएम ने उन्हें सात लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी दी थी। वे इन सीटों पर हार गए तो मंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा भी कर दी। पार्टी सूत्रों के अनुसार दिल्ली में किरोड़ी के इस्तीफे को लेकर बड़े नेताओं के दो धड़े बन गए हैं। एक धड़ा चाहता है कि उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाए। इन नेताओं का कहना है कि जब भी भाजपा की सरकार बनी। कोई न कोई विवाद खड़ा ही हुआ है। वहीं, एक धड़ा यह चाहता है कि फिलहाल प्रदेश में सरकार में किसी तरह का विवाद न हो। इसलिए किरोड़ी का इस्तीफा स्वीकार न किया जाए। इस संकेत के बाद से ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लगातार यही संदेश दे रहे है कि किरोड़ी अभी मंत्री हैं और वे मंत्री के रूप में ही काम कर रहे हैं। किरोड़ी को मना लिया जाएगा।