मेरी एक फ्रेंड है, जिसे कलर्स के साथ एक्सपेरिमेंट का बड़ा शौक है। उसके वॉर्डरोब में लगभग हर कलर के आउटफिट्स मौजूद हैं सिवा पीले रंग के। जब मैंने उससे पूछा कि यार इतना सुंदर कलर तुम्हें कैसे नहीं पसंद, तो उसका जवाब था कि इस रंग को देखते ही उसे अजीब तरह की बैचैनी होने लगती है, गुस्सा आने लगता है और परेशान हो जाती है। पहले तो उसने नोटिस नहीं किया कि ऐसा पीले कलर की वजह से हो रहा है, लेकिन जब हर बार पीले रंग को देखते ही उसे ऐसा होने लगा, तो उसने डॉक्टर से कंसल्ट किया फिर जाकर उसे पता चला कि वो जैंथोफोबिया की शिकार है। 

क्या है जैंथोफोबिया? 

डॉ. हिमांशु निरवान, एमबीबीएस, एमडी (मनोरोग), नोएडा इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (NIMS) बताते हैें कि, 'जैंथोफोबिया पीले रंग से होने वाला बेवजह का डर है, जिसे येलो फोबिया के नाम से भी जाना जाता है। जैंथोफोबिया के शिकार लोग पीले रंग को देखते ही या इसके संपर्क में आने पर एकदम से परेशान हो जाते हैं। सीने में दर्द, घबराहट और घुटन जैसे लक्षण महसूस करते हैं। ऐसा क्यों होता है, इसकी वजह को लेकर एक्सपर्ट्स अभी भी रिसर्च कर रहे हैं, लेकिन यह माना जाता है कि इसके लिए जेनेटिक्स, पर्यावरणीय और मनोवैज्ञानिक कारण जिम्मेदार हो सकते हैं।' 

जैंथोफोबिया की वजहें

जैंथोफोबिया के कई कारण हो सकते हैं। इनमें डिप्रेशन की फैमिली हिस्ट्री, पीले रंग से जुड़ा कोई हादसा, बहुत ज्यादा स्ट्रेस और नशे की लत जैसे कई वजहें शामिल हैं। ये सभी जैंथोफोबिया की संभावना को बढ़ा सकते हैं। 

जैंथोफोबिया के लक्षण

जैंथोफोबिया के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं और उनकी गंभीरता भी। आम लक्षणों में पीले रंग या पीली वस्तुओं को देखते ही डर या चिंता का एहसास, बहुत ज्यादा पसीना आना, कांपना, धड़कनें तेज होना सांस लेने में परेशानी शामिल है। इस फोबिया के चलते आपकी लाइफस्टाइल पर असर पड़ सकता है, क्योंकि व्यक्ति जहां-जहां पीला रंग मौजूद होता है, उसे देखकर अजीब बिहेवियर करने लगता है। 

जैंथोफोबिया की जांच

जैंथोफोबिया का परीक्षण  मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक, व्यक्ति के लक्षणों, मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर करते हैं। इसमें मनोवैज्ञानिक और शारीरिक जांचें भी शामिल हो सकती हैं। 

जैंथोफोबिया का इलाज

जैंथोफोबिया का उपचार आमतौर पर चिकित्सा और दवाओं के जरिए होता है। इसके अलावा बिहेवियरल थेरेपी (CBT), एक्सपोजर थेरेपी और एंटी-डिप्रेसेंट या एंटी-एंग्जाइटी दवाएं भी मरीज की कंडीशन के आधार पर डिसाइड की जाती हैं। बिहेवियरल थेरेपी (CBT) व्यक्ति के नकारात्मक विचार और व्यवहार की पहचान करने में मदद करती है। एक्सपोजर थेरेपी में व्यक्ति को धीरे-धीरे पीले रंग का सामना कराया जाता है, जिससे उसका डर कम हो सके। दवाएं व्यक्ति की चिंता और डर के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं।

जैंथोफोबिया को खत्म करने का कोई सटीक तरीका या इलाज नहीं है, लेकिन हां थेरेपी और दवाओं की मदद से इसके जोखिम को कम जरूर किया जा सकता है। सही उपचार के साथ जैंथोफोबिया से पीड़ित ज्यादातर लोगों डर और चिंता को मैनेज करना सीख जाते हैं, लेकिन बिना उपचार के, यह डर ज्यादा गंभीर और खतरनाक हो सकता है।