महिलाएं सतत विकास के लिए आवश्यक आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। व्यक्तियों, परिवारों और ग्रामीण समुदायों की भलाई और 2030 ऐजेन्डा को साकार करने के लिए उनका आर्थिक, सामाजिक, मानसिक और राजनीतिक सशक्तिकरण बहुत आवश्यक है। महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का अर्थ है कि उन्हें वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करने का अवसर देना। इससे उन्हें अपने आर्थिक जीवन को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है। महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का लक्ष्य लैंगिक असमानता कम करना भी है। सरकार में महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने के लिए विभिन्न स्तर पर पहल की है। 

देश के माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने एक भाषण में कहा था पिछले वर्षों में देश महिला नेतृत्व विकास को लेकर आगे बढ़ा है। भारत ने अपने बीते वर्षों के अनुभव को देखते हए महिला विकास से महिला नेतृत्व विकास के प्रयासों को वैश्विक मंच पर भी ले जाने का प्रयास किया है। आज भारत के सामाजिक जीवन में बहुत बढ़ा हुआ परिर्वतन नजर आ रहा है। पिछले कुछ वर्षों में भारत में जिस प्रकार महिला विकास के लिए काम किया है, आज उसके परिणाम नजर आने लगे है। आज भारत में महिला पुरूष की लैंगिक असमानता में कमी आई है। उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाली लड़कियों की संख्या में वृद्वि हुई है। तकनीकी शिक्षा की और लडकियों का रूझान और इनराॅलमेंट बढ़ा है।