लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने रविवार को कहा कि सेबी की ईमानदारी पर इसके अध्यक्ष के खिलाफ आरोपों से गंभीर रूप से समझौता हुआ है। इसके साथ ही उन्होंने पूछा कि क्या सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर एक बार फिर से स्वतः संज्ञान लेगा। राहुल गांधी उनकी यह टिप्पणी अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा शनिवार को आरोप लगाए जाने के बाद आई है कि बाजार नियामक सेबी की अध्यक्ष माधबी बुच और उनके पति के पास कथित अडानी मनी साइफनिंग घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी। एक्स पर एक पोस्ट में राहुल गांधी ने कहा कि छोटे खुदरा निवेशकों की संपत्ति की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार प्रतिभूति नियामक सेबी की ईमानदारी पर इसके अध्यक्ष के खिलाफ आरोपों से गंभीर रूप से समझौता हुआ है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, देश भर के ईमानदार निवेशकों के पास सरकार के लिए महत्वपूर्ण सवाल हैं: सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच ने अभी तक इस्तीफा क्यों नहीं दिया है? अगर निवेशक अपनी मेहनत की कमाई खो देते हैं, तो कौन जिम्मेदार होगा पीएम मोदी, सेबी अध्यक्ष, या गौतम अडानी? गांधी ने पूछा कि सामने आए नए और बहुत गंभीर आरोपों के मद्देनजर क्या सुप्रीम कोर्ट इस मामले की फिर से स्वत: संज्ञान लेकर जांच करेगा। उन्होंने कहा, अब यह पूरी तरह से स्पष्ट हो गया है कि प्रधानमंत्री मोदी जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) जांच से इतना क्यों डरते हैं और इससे क्या पता चल सकता है।