राज्य सरकार की ओर से प्रदेश के दवा विक्रेताओं को 4 माह की 600 करोड़ की राशि जारी नहीं करने से प्रादेशिक दवा विक्रेता समिति से जुड़े अधिकृत दवा विक्रेताओं ने शनिवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल कर दी। इसके चलते आरजीएचएस से जुड़े पेंशनर्स व कर्मचारी दवा के लिए इधर-उधर भटकते रहे। विक्रेताओं ने भी दवा की दुकानों पर योजनाओं से जुड़े कार्मिकों को समस्या के सपूर्ण व प्रभावी समाधान नहीं होने तक दवाओं की आपूर्ति नहीं करने के नोटिस चस्पा कर दिए हैं। प्रादेशिक दवा विक्रेता महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष विवेक विजयवर्गीय का कहना है कि प्रदेश में 4500 कैमिस्ट के आरजीएचएस में 600 करोड़ रुपए बकाया हैं। एमओयू में 21 दिन में भुगतान करने की शर्त है, लेकिन चार माह से पैसा नहीं मिला। वर्तमान सरकार को योजना को सुचारू रूप से जारी रखने के लिए अधिकृत दवा विक्रेताओं की जायज मांगों को तवज्जो देना चाहिए, जो वह नहीं दे रही। इसके चलते दवा विक्रेताओं ने राज्य के सेवारत एवं सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं उनके परिजनों को दवाइयां नहीं देने का फैसला किया है। आरजीएचएस विभाग के समाधान के प्रयास नाकाफी हैं। जायज मांगों का जल्द निस्तारण किया जाए, ताकि सुचारू रूप से योजना का लाभ लाभार्थी एवं परिजनों को मिलता रहे।

कोटा कैमिस्ट एसोसिएशन के संगठन सचिव नरेश कुकरेजा ने बताया कि सरकारी कर्मचारी और पेंशनर्स को आरजीएचएस योजना के तहत केशलेस दवाइयां देने वाले अनुबन्धित मेडिकल स्टोर के भुगतान के विषय में परियोजना निदेशिका ने दस दिन पूर्व भुगतान हो जाने की बात कही है।

इनकी बढ़ गई परेशानी

सेवानिवृत्त दादाबाड़ी निवासी राजेन्द्र कुमार ने बताया कि उन्हें डायबिटीज व बीपी की शिकायत है। फिजिशियन को दिखाया। उन्होंने एक माह की दवा लिखी, लेकिन विज्ञान नगर कैमिस्ट के पास पहुंचे तो दवा देने से मना कर दिया। वे बोले हड़ताल चल रही है। इसके चलते दवा नहीं दे पाएंगे। पेंशनर्स अनुराधा तिवारी, माधोलाल योगी, राकेश कुमार भी कैमिस्ट शॉप्स पर गए, लेकिन उन्हें दवाइयां नहीं मिली।

प्रदेश में 13 लाख से अधिक लाभार्थी

राज्य कर्मचारियों व सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए इस योजना से प्रदेश में 13 लाख से अधिक लाभार्थियों के 67 लाख से अधिक सदस्य जुड़े हैं। प्रादेशिक दवा विक्रेता समिति कोटा के जिला अध्यक्ष विजय कुमार जैन ने बताया कि कोटा में 70 से अधिक दुकानें पंजीकृत हैं। एक लाख लाभार्थी हैं।