बांग्लादेश में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे के 6 दिन बाद शेख हसीना ने कहा है कि अमेरिका को सेंट मार्टिन आइलैंड न देने की वजह से उनकी सरकार गिराई गई है।हसीना ने अपने करीबी सहयोगियों से कहा, "मैंने कट्टरपंथियों की हिंसा में मरने वालों की संख्या को बढ़ने नहीं देना चाहती थी। वे छात्रों के शवों के जरिए सत्ता हासिल करना चाहते थे। लेकिन मैंने पद छोड़कर ऐसा नहीं होने दिया।"हसीना ने कहा, "मैं सेंट मार्टिन द्वीप और बंगाल की खाड़ी को अमेरिकी कंट्रोल में देकर अपनी कुर्सी बचा सकती थी। मैं देशवासियों से अपील करती हूं कि वे कट्टरपंथियों के बहकावे में न आएं। अल्लाह की कृपा से मैं बांग्लादेश जल्द लौटूंगी।"छात्रों के आंदोलन पर बात करते हुए हसीना ने कहा, "मैंने कभी उन्हें रजाकार नहीं बुलाया। देश में अस्थिरता लाने के लिए मेरे शब्दों को गलत तरह से पेश किया गया। बांग्लादेश की जनता की मासूमियत का फायदा उठाते हुए यह साजिश रची गई है।" इस्तीफे के बाद यह पहला मौका है जब हसीना का इस मामले में कोई बयान सामने आया है। इससे पहले जून 2021 में बांग्ला अखबारों में दावा किया गया था कि अमेरिका, बांग्लादेश से सेंट मार्टिन द्वीप की मांग कर रहा है। वह यहां मिलिट्री बेस बनाना चाहता है। इसके बाद बांग्लादेश वर्कर्स पार्टी के अध्यक्ष रशीद खान मेनन ने भी संसद में कहा कि अमेरिका सेंट मार्टिन द्वीप हासिल करना चाहता है और क्वाड का मेंबर बनने के लिए दबाव बना रहा है।सेंट मार्टिन द्वीप जिसे लेकर बांग्लादेश की राजनीति में इतना हंगामा मचा वह सिर्फ 3 वर्ग किमी का एक द्वीप है। म्यांमार से इसकी दूरी सिर्फ 5 मील है। जून 2023 को PM हसीना ने कहा था कि विपक्षी BNP पार्टी अगर सत्ता में आई तो वे सेंट मार्टिन बेच देंगे।