जम्मू कश्मीर में निकट भविष्य में संभावित विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस, कांग्रेस और पीडीपी, भाजपा और अपनी पार्टी या फिर किसी अन्य दल का प्रत्यक्ष गठजोड़ देखने को नहीं मिलेगा।कोई भी दल मौजूदा परिस्थितियों में गठबंधन के आधार पर चुनाव लड़ने के मूड में नहीं हैं । सभी चुनाव के बाद की परिस्थितियों के आधार पर गठबंधन का विकल्प खुला रखना चाहते हैं। जम्मू कश्मीर में 90 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से 43 जम्मू प्रांत में और 47 कश्मीर प्रांत में हैं। लोकसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठजोड़ को देखते हुए यह माना जा रहा था कि विधानसभा चुनाव में भी यह दोनों मिलकर ही मैदान में उतरेंगे। फिलहाल,ऐसा होता नजर नही आ रहा है।नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने तीन दिन पहले सीधे शब्दों में कांग्रेस,पीडीपी या किसी अन्य दल के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन की संभावना को नकारते हुए कहा कि हम अकेले ही चुनाव लड़ेंगे। दूसरी तरफ कांग्रेस जो पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन की उम्मीद में थी, लेकिन अब अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। उसने अपने प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है।पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी भी अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। पीडीपी ने अपना पूरा ध्यान कश्मीर घाटी में केंद्रित कर रखा है और जम्मू प्रांत में वह छह सीटों पर ही ज्यादा जोर लगाने के मूड में है। भारतीय जनता पार्टी जो प्रत्यक्ष रूप से प्रदेश की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर रही है,लेकिन संगठन के भीतर सभी नेता जम्मू प्रांत की 43 सीटों पर विशेष जोर लगाने की बात कर रहे हैं। वह कश्मीर घाटी में चुनावी जीत को लेकर ज्यादा आश्वस्त नहीं हैं।घाटी में कुछेक सीटों पर विशेषकर उत्तरी कश्मीर के जिला कुपवाड़ा और दक्षिण कश्मीर के पुलवामा व अनंतनांग में छह से सात सीटों पर अपने प्रभावी उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं।जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस जिसके साथ लोकसभा चुनाव में भाजपा का गठजोड़ रहा है, विधानसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। दोनों दल अब भाजपा की ए और बी टीम के टैग से बचने का प्रयास कर रहे हैं।