बांग्लादेश में हिंसक विरोध प्रदर्शन के चलते कई हिंदुओं की मौत हो चुकी है। पड़ोसी मुल्क में शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने के बाद अंतरिम सरकार का गठन भी हो चुका है। इसके बावजूद हिंसा का आलम ये है कि बीते दिन वहां के मुख्य न्यायाधीश ओबैदुल हसन को भीड़ ने अल्टीमेटम दे दिया, जिसके बाद उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा। बांग्लादेश में अभी ये साफ नहीं हुआ है कि वहां चुनाव कब होंगे, लेकिन यह तय है कि देश की दो बड़ी राजनीतिक पार्टियों में से एक खालिदा जिया के नेतृत्व वाली बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) इनमें अहम भूमिका निभाएगी। बीएनपी नेता ने कहा कि देश में हिंदुओं पर हमले कुछ लोगों द्वारा स्थिति का लाभ उठाने का परिणाम हैं और उन्होंने जोर देकर कहा कि वे किसी "व्यवस्थित एजेंडे" का हिस्सा नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि जब किसी भी देश में कोई बदलाव होता है, तो कुछ लोग इसका फायदा उठाने की कोशिश करते हैं।
बांग्लादेश में भी दुर्भाग्य से हर क्रांति के साथ, सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को निशाना बनाया जाता है, चाहे वे मुस्लिम हों या हिंदू। उन्होंने माना कि अल्पसंख्यकों पर हमले हुए हैं, लेकिन उन्होंने इसे राजनीतिक या व्यवस्थित एजेंडा नहीं बताया।
आलमगीर ने आगे कहा कि यदि जिया पर्याप्त रूप से योग्य होंगी तो वे चुनावों में बीएनपी का नेतृत्व करेंगी और यदि पार्टी सत्ता में आती है तो भारत-बांग्लादेश संबंधों को बेहतर बनाने के लिए काम करेगी।