एक दिन दिन पहले ही खुद बच वाइल्डलाइफ पर अनुराग भटनागर मौजूद थे आखिर ऐसा क्या हुआ की नाहर के स्वास्थ्य की जानकारी रुटीन चेकअप में कितनी बड़ी बीमारी का पता नहीं लगा ,,,क्या खाना पूर्ति और फोटो सेशन ही रह गया है यहां के अधिकारियों का मुख्य काम।।। सुहासिनी की सांस में कौन घोल रहा है जहर के नाम से कितनी ही बार प्रशासन व स्थानीय अधिकारियों बायोलॉजिकल पार्क नगर निगम तथा जिला प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय को लिखित में कहा गया फोन वह अन्य सभी माध्यम से इन लोगों का उचित व्यवस्था करने गुहार के बाद भी इन्होंने यहां पर आकर सुध नहीं ली।।।13साल पूर्व केंद्रीय वाइल्डलाइफ टीम की एडवाइजरी के बाद में लगा था कि कोटा के चिड़ियाघर को और उसमें रहने वाले जानवरों को खुली हवा और खुला वातावरण, रहने के लिए बड़ा आवास मिलेगा लेकिन हुआ इसके उलट बायोलॉजिकल पार्क के प्रारंभ होते ही यहां पर नगर निगम कोटा के द्वारा स्थापित ट्रेचिंग ग्राउंड के गंदगी और बदबूदार धुएं से स्थानीय लोगों ने बार-बार प्रशासन कोआगाह किया था।।। कि या तो बायोलॉजिकल पार्क को यहां पर नहीं बनाया जावे या फिर ट्रेचिंग ग्राउंड को यहां से हटाया जावे कई बार आंदोलन के बाद अंतिम आंदोलन के रूप में लोकसभा चुनाव के समय बड़े स्तर तक यह मामला पहुंचा गया था।।स्थानीय लोगों के जन आंदोलन के चलते मुख्यमंत्री व लोकसभा के दोनों उम्मीदवारों ने ट्रेचिंग ग्राउंड को यहां से हटाने की बात कही थी।।।कोटा की खबर नवीस और सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं से कितनी ही बार अनुरोध किया कि वह यहां पर आकर वास्तविक सच्चाई को देखें कि आखिर जानवर यहां किस प्रकार रह सकते हैं यही नहीं यह पूरी बात कोटा है प्रभारी सचिव पटी रविकांत जी को भी समिति के द्वारा सम्मुख बात करके बदबू और जहरीले धुएं की भयावहता बताई गई थी और समिति के निवेदन पर टी रविकांत जी ने स्वयं अंदर जाकर भ्रमण करके स्थिति को गंभीर होना बताया था।। लेकिन 3 महीने बाद भी यहां पर कोई सुधार नहीं हुआ उल्टा बरसात के आते यही कचरा अब बदबूदार गटर में बदल गया है लगातार इस धुएं और बदबूदार माहौल में रहते अभी और भी कई जानवरों की जान जाने की आशंका है नाहर की मौत का जिम्मेदार कोटा का गैर जिम्मेदार नगर निगम और खुद बायोलॉजिकल पार्क के अधिकारी है। जिसे बार-बार विरोध करने पर भी उन्होंने आगे कारवाइयां नहीं की वहीं पॉल्यूशन बोर्ड के द्वारा इस मामले में उदासीनता का पूरा प्रदर्शन किया गया है। जिन्होंने केवल एक बार अपना नोटिस एडवाइजरी देकर इति श्री कर ली। अगर ईमानदारी से पोस्टमार्टम रिपोर्ट आती है तो कहीं ना कहीं नहर की मौत के कर्म में पर्यावरण की गंभीर परिस्थितियों का भाव सच सामने आ जाएगा और हमारे द्वारा बार-बार गुहार लगाई जा रही थी उसे ना सुनने और नहर की मौत का जिम्मेदार सीधा-सीधा प्रशासन को ही माना जाएगा।
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