स्कैमर्स लोगों को धोखा देने के कई तरीके आजमाते हैं। बीते कुछ सालों में स्मार्टफोन का इस्तेमाल तेजी से बढ़ गया है। ऐसे में ऑनलाइन स्कैमर्स होना आम बात होती जा रही है। बैकिंग पार्सल के नाम पर ठगी और परिचित बनकर साइबर ठग करने के बहुत से केस सामने आए हैं। आज हम आपको बताएंगे कि साइबर ठगी कितने तरह की होती है और इससे कैसे बचें।

आजकल लोगों का सामाजिक दायरा कम हो गया है। वे मोबाइल पर अधिक समय बिता रहे हैं। आनलाइन अधिक रहने लगे हैं। यही लोग साइबर ठगी के ज्यादा शिकार होते हैं। साइबर ठग एक दिन कई लोगों से ठगी करने का प्रयास करते हैं, लेकिन एक या दो से ही ठगी कर पाते हैं।

ठगी के शिकार सिर्फ वही लोग होते हैं जो या तो जागरुक नहीं हैं या फिर अपने काम तक ही सीमित रहते हैं। उत्तराखंड पुलिस की एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आयुष अग्रवाल ने यह बातें जागरण से साझा कीं। उन्होंने कहा कि आजकल हम होटल, रेस्टोरेंट, शापिंग माल में खरीदारी करते समय अपना नंबर देते हैं। यह नंबर डार्क वेब के माध्यम से साइबर ठगों तक पहुंच जाता है।इसके अलावा हम प्ले स्टोर पर जो एप डाउनलोड करते हैं, उनमें कई असुरक्षित रहते हैं। एप डाउनलोड करते समय डाटा एक्सेस की अनुमति ली जाती है। हम बिना देखे अनुमति दे देते हैं। इससे फोन क्लोन की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए वही एप डाउनलोड करना चाहिए जो बहुत जरूरी है। एसएसपी ने कहा कि आजकल डिजिटल अरेस्ट के केस बढ़ गए हैं।

अधिकतर मामलों में पार्सल के नाम पर हाउस अरेस्ट की बात सामने आ रही है। हमें यह सोचना चाहिए कि जब कोई पार्सल भेजा ही नहीं गया तो उसमें अवैध सामग्री कैसे हो सकती है। दूसरी बात यह है कि यदि कोई अवैध पार्सल पकड़ा भी जाता है तो कानूनी दायरे में रहकर कार्रवाई होती है। इसमें कोई पुलिस अधिकारी या कर्मचारी रुपये नहीं मांगता। इस तरह के फोन आने पर नजदीकी थाने में संपर्क करें। पीड़ित को पुलिस और न्यायिक प्रणाली पर भरोसा करना होगा।

इस तरह से हो रही ठगी

1- बैंकिंग और वित्तीय ठगी आमतौर केवाइसी करवाने के नाम पर लोगों को अनजान नंबरों से फोन काल, एसएमस या ईमेल आते हैं। उनसे उनकी व्यक्तिगत, खाते या लागिन की जानकारी देने के लिए कहा जाता है। कभी-कभी उन्हें लिंक देकर कोई ऐप डाउनलोड करने के लिए भी मजबूर किया जाता है और ठगी की जाती है।

ऐसे बचें : केवाईसी अपडेट के लिए किसी भी अनुरोध को प्राप्त करने पर अपने बैंक या वित्तीय संस्थान से सत्यापन या सहायता के लिए संपर्क करें। बैंक या वित्तीय संस्थान का संपर्क नंबर या ग्राहक सेवा फोन नंबर केवल उसकी आधिकारिक वेबसाइट या विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त करें।