चैटजीपीटी जैसे एआई चैटबॉट का इस्तेमाल हर दूसरे काम में हो रहा है। खास कर स्कूल-कॉलेज जाने वाले छात्र अपने असाइनमेंट को एआई टूल की मदद से पूरा कर रहे हैं। ऐसे में चीटिंग को लेकर यह शिक्षकों के लिए एक बड़ी परेशानी बना हुआ है। हालांकि ओपनएआई के पास एक ऐसा टूल मौजूद है जो इस चीटिंग को पकड़ सकता है
चैटजीपीटी जैसे एआई चैटबॉट के साथ इंसानों का काम आसान हो रहा है। एआई चैटबॉट इंसानों की अलग-अलग कामों में मदद कर रहे हैं। एआई की मदद से रोजाना के कामों को लेकर बड़ी सहूलियत मिली है। हालांकि, स्कूल-कॉलेज और ऑरिजनल कंटेंट क्रिएटर्स के लिए यह सुविधा ही बड़ी दुविधा बनी हुई है। एआई कंटेंट की वजह से ऑरिजनल कंटेंट को अहमियत नहीं मिल रही है और प्लैगरिज्म यानी कंटेंट कॉपी का डर लगातार बना हुआ है। हालांकि, अब चैटजीपीटी जनरेटेड कंटेंट की पहचान करने वाले टूल की भी एंट्री हो चुकी है। यह टूल चैटजीपीटी को ही बनाने वाली कंपनी ओपनएआई के पास मौजूद है।
चैटजीपीटी का इस्तेमाल करने वालों को पकड़ना आसान
ओपनएआई का दावा है कि इस टूल की मदद से ऐसे छात्रों और कर्मचारियों को पकड़ा जा सकता है, जो अपने काम में चैटजीपीटी का इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन ओपनएआई का कहना है कि कंपनी इस टूल को रिलीज नहीं करेगी। वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट की मानें तो ओपनएआई के पास एक वॉटरमार्किंग सिस्टम है। इस सिस्टम की मदद से चैटजीपीटी की मदद से तैयार किया गया कंटेंट डिटेक्ट किया जा सकता है। लेकिन कंपनी ने फिलहाल इस टूल को होल्ड पर रखा है। ऐसा इसलिए किया गया है, क्योंकि कंपनी में आंतरिक स्तर पर ही इस टूल को लेकर हर किसी का अलग विचार है।
शिक्षकों की परेशानी दूर कर सकता है टूल
चैटजीपीटी का इस्तेमाल स्कूल और कॉलेज जाने वाले छात्र अपने असाइनमेंट पूरा करने में करते हैं। ऐसे में यह शिक्षकों के लिए चीटिंग से जुड़ी परेशानी खड़ी कर रहा है। ओपनएआई के वॉटरमार्किंग सिस्टम के साथ इस परेशानी को खत्म किया जा सकता है। कंपनी ने अपने ब्लॉग में लिखा भी है कि हमारी टीम ने टेक्स्ट वॉटरमार्किंग मेथड को डेवलप कर लिया है और हम लगातार अपनी रिसर्च के साथ दूसरे अलटरनेटिव को खोजेंगे।