बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे और तख्तापलट भारत के लिए कई अहम चुनौतियों को जन्म दे सकता है। भारत और बांग्लादेश के बीच घनिष्ठ संबंध और सामरिक साझेदारी के कारण, शेख हसीना के शासन में अस्थिरता भारत के लिए गंभीर चिंताओं का विषय बन सकता है। पूर्वी पड़ौसी मित्र देश बांग्लादेश में उपद्रव और राजनीतिक अिस्थरता भारत के लिए नई चुनौती बन गया है। बांग्लादेश में भारत के निवेश और हिंदू आबादी सहित अन्य हितों को देखते हुए भारत फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है। बांग्लादेश से लगती करीब 4000 किलोमीटर सीमा पर सतर्कता बरतने के साथ ही दिल्ली में बैठकों का दौर चल रहा है। ढाका में रविवार को हुई हिंसा के बाद ही भारत सतर्क हो गया था। सोमवार को आंदोलनकारियों के मार्च में भारी भीड़ के बाद सुबह से ही दिल्ली में बैठकों का दौर शुरू हो गया. एक उच्चस्तरीय बैठक हुई जिसमें विदेश मंत्री एस.जयशंकर, एनएसए अजीत डोभाल, रॉ और वायुसेना प्रमुख शामिल हुए। बाद में विदेश मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हालात और आगे की रणनीति के बारे में ब्रीफ किया। तय रणनीति के तहत ही हसीना के विमान को ढाका से ट्रेक करते हुए दिल्ली में उतरने की इजाजत दी गई। खुद एनएसए डोभाल ने हिंडन एयर बेस पर हसीना का स्वागत कर उनसे लंबी बातचीत की। शाम को पीएम मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक भी हुई जिसमें हालात की समीक्षा व आगे के कदम पर चर्चा हुई। बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों व हिंदुओं पर हमले पर चिंता प्रकट की गई।बांग्लादेश में बदले हालात पर देश में राजनीतिक नेतृत्व एकजुट दिखा। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने विदेश मंत्री एस.जयशंकर से मुलाकात की और ताजा िस्थति व भारत की रणनीति पर बातचीत की। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि अनावश्यक बयानबाजी न की जाए। उन्होंने कहा कि वे बांग्लादेश के मुद्दे पर केंद्र सरकार के साथ हैं और वही करेंगी जो केंद्र सरकार कहेगी।