एक हालिया स्टडी में कहा गया है कि ज्यादातर भारतीय ऐप्स ने भ्रामक डिजाइन और लेआउट अपनाया हुआ है। इन ऐप्स का डिजाइन यूजर्स को भ्रमित करता है। इससे उनके फैसले भी प्रभावित होते हैं। अध्ययन में पाया गया कि टॉप 53 ऐप्स में से 52 ऐप्स ने भ्रामक UI (यूजर इंटरफेस) और UX (यूजर एक्सपीरियंस) को अपनाया हुआ है।

शॉपिंग करने से लेकर खाना मंगाने तक सबके लिए हमारे स्मार्टफोन में स्पेसिफिक ऐप है, छोटे-छोटे काम के लिए ऐप खोलना कई बार यूजर्स की मजबूरी हो जाती है। ऐसा कई बार ऐप के भ्रामक डिजाइन और लेआउट के कारण भी होता है। एक स्टडी में कहा गया है कि ज्यादातर भारतीय ऐप्स ने भ्रामक डिजाइन प्रथाओं को अपनाया हुआ है। इसका असर यूजर्स के फैसलों पर भी पड़ता है।

यूजर्स को भ्रमित करते हैं भारतीय ऐप्स

भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि टॉप 53 ऐप्स में से 52 ऐप्स ने भ्रामक UI (यूजर इंटरफेस) /UX (यूजर एक्सपीरियंस) को अपनाया हुआ है। इन ऐप्स का लेआउट यूजर्स को गुमराह करता है और इससे उनके फैसले भी प्रभावित होते हैं। ऐप्स का डिजाइन उन्हें वह काम करने के लिए प्रेरित करता है, जो वह आमतौर पर नहीं करना चाहते हैं। 

लाखों में डाउनलोड

डिजाइन फर्म पैरेलल HQ के सहयोग से किए गए इस अध्ययन में कहा गया है कि भ्रामक डिजाइन वाले इन ऐप्स के डाउनलोड्स भी अच्छी संख्या में हैं। इन ऐप्स को 21 बिलियन बार डाउनलोड किया गया है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इस भ्रामक पैटर्न में कई तरह की चीजें शामिल हैं, जो यूजर्स की प्राइवेसी, इंटरफेस हस्तक्षेप, ड्रिप मूल्य निर्धारण को नुकसान पहुंचा सकती हैं।