राजस्थान की न्यू इंडस्ट्री यानि एग्रीकल्चर इंडस्ट्री तेजी से बढ़ता हुआ रोजगार देने वाला उद्योग है, लेकिन सरकार ने इसके प्रोत्साहन को कागजों से बाहर नहीं निकाला है। जीरा, सौंफ, मैथी, धनिया और कस्तूरी मैथी के साथ ही मिर्च को प्रोसेस और पैकेज करने के प्रदेश के करीब 500 उद्योग की राहत सरकार की एक कमेटी की बैठक नहीं होने से अटकी हुई है। इससे 2000 करोड़ का निवेश भी प्रभावित हो रहा है। एक तो मंडी टैक्स का भार और दूसरा सब्सिडी नहीं मिलने के कारण अधिकांश एग्रो आधारित उद्योग गुजरात की ओर जा रहे हैं। अभी भी एग्रो उत्पादन का 70 प्रतिशत राजस्थान से बाहर जा रहा है। दरअसल, एग्रीकल्चर सेक्टर में एक करोड़ तक के निवेश पर सब्सिडी की अनुमति जिला स्तर पर बनी कमेटी स्वीकृत करती है। पिछले एक साल में इस कमेटी ने एक बैठक ही की है। वहीं दूसरी ओर एक करोड़ से अधिक का निवेश करने वाली इकाइयों को सब्सिडी की अनुमति राजस्थान सरकार के एग्रो मार्केटिंग बोर्ड में बनी कमेटी देती है। इस कमेटी की पिछले साल सितंबर के बाद से बैठक ही नहीं हुई। इसी कारण प्रदेश की 500 से ज्यादा इकाइयों की सब्सिडी अटकी हुई है।
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