झालावाड़  = राजकीय हरिश्चंद्र सार्वजनिक जिला पुस्तकालय में पुस्तकालय और अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सुधा मंच के संयुक्त तत्वावधान में यथार्थवादी साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की 145 वीं जयंती के अवसर पर उनके साहित्य पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता श्री चेतन कुमार चेतन ने की । मुख्य अतिथि रहे श्री सुरेश निगम तथा विशिष्ट का दायित्व श्री परमानंद भारती ने निभाया। शुरुआत अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के पूजन वंदन से की गई। संगोष्ठी का केन्द्रीय विषय मुंशी प्रेमचंद के साहित्य में सामाजिक विषमताएं और उनका समाधान रहा । मुख्यवक्ता वरिष्ठ साहित्यकार श्री कृष्ण सिंह हाड़ा ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि मुंशी प्रेमचंद एक जनवादी और प्रगतिशील लेखक रहे है , जिन्होंने हिन्दी और उर्दू साहित्य को मिथकीय अय्यरी और फंतासी कथानकों से ऊपर उठकर आम जन की वेदना को अपने साहित्य के माध्यम से न केवल व्यक्त किया, बल्कि उसे आदर्शोमुखी भी बनाया । इस अवसर बोलते हुए वरिष्ठ कवि राकेश नैयर ने मुंशी प्रेमचंद के साहित्य की प्रासंगिकता पर सवाल खड़े किये । श्री हरिश जी शर्मा ने अजहर हाशमी के लेख का उल्लेख करते हुए अपनी बात को पटल पर रखा । वरिष्ठ गजलकार श्री धनीराम समर्थ ने मुंशी जी के साहित्य में आई गरीब पीड़ित जन की वेदना को राष्ट्रीय पटल पर उजागर करने उन्हें पहला साहित्यकार माना । भाई परमानन्द भारती ने मुंशी जी को हिन्दी साहित्य को मील का पत्थर कहते हुए अपने उद्बोधन में उन्हें याद किया। श्री सुरेश निगम ने मुंशी को हिन्दी का आधुनिक साहित्यकार कहा । श्री चेतन्य जी चेतन ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में मुंशी के साहित्यक योगदान को विस्तार से परिभाषित किया। श्री कैलाश व्यास , खुशी खत्री,दर्शना खत्री, लोकेश कुमार ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किये । अंत में पुस्तकालय अध्यक्ष श्री कैलाश राव ने सभी अतिथियों और साहित्यकारों, श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।