सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना करने पर कार्यवाही के आदेश

बून्दी। जिला एवं सेशन न्यायाधीश बून्दी द्वारा थाना कोतवाली, बून्दी से सम्बन्धित एक मामले में निचली अदालत मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, बून्दी द्वारा अभियुक्त की पुलिस द्वारा गैर कानूनी रूप से की गई गिरफ्तारी व सुप्रीम कोर्ट द्वारा धारा 41-ए द.प्र.सं. के अन्तर्गत अभियुक्त को आज्ञापक रूप से नोटिस दिये जाने सम्बन्धी आवश्यकताओं के सम्बन्ध में अवैधता कारित करने के सम्बन्ध मैं दायर किये गये प्रार्थना-पत्र को खारिज कर रिमाण्ड दिये जाने के आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत निगरानी याचिका को स्वीकार करते हुए निचली अदालत के आदेश को रद्द कर थाना कोतवाली, बून्दी द्वारा की गई गिरफ्तारी को अवैध एवं गैर कानूनी घोषित करते हुए दोषी पुलिस अधिकारी शहर कोतवाल तेजराज सैनी एवं हेमराज ए.एस.आई. के विरूद्ध पुलिस महानिदेशक, जयपुर राजस्थान को अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के निर्देश दिये जाने के साथ-साथ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, बून्दी को उपरोक्त दोषी पुलिस अधिकारियों के विरूद्ध सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा दिये गये आदेशों की अवमानना करने के सम्बन्ध में राजस्थान उच्च न्यायालय जयपुर में सिविल अवमानना की कार्यवाही रजिस्ट्रार के माध्यम से दायर किये जाने के आदेश देते हुए 30 दिवस में कार्यवाही पूर्ण करने के लिए निर्देश दिये है। मामले के अनुसार पूर्व खेल एवं युवा मामलात मंत्री एवं वर्तमान विधायक हिण्डोली अशोक चान्दना के नेतृत्व में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता संदीप पुरोहित, यूथ कांग्रेस जिलाध्यक्ष निशान्त नुवाल, टीकम जैन, यासीन कुरैशी, रणजीत गूर्जर, प्रहलाद यादव सहित कई कांग्रेसी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं सहित किसान आन्दोलन को समर्थन देने के लिए कुछ माह पूर्व शहर बून्दी में धरना प्रदर्शन किया था। इस आयोजन के पूर्व जिला प्रशासन से शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन की अनुमति भी कांग्रेस दल के नेताओं द्वारा ली गई थी। पुलिस द्वारा इस आन्दोलन को विफल बनाने के लिए प्रदर्शन के समय उक्त नेताओं पर बैरिकेडिंग तोड़ने सहित राजकार्य में बाधा डालने तथा सरकारी सम्पत्ति को क्षति पहुंचाने के मामले दर्ज किये। इस मामले में पुलिस द्वारा वर्तमान विधायक अशोक चान्दना सहित कुछ नेताओं तथा कार्यकर्ताओं के विरूद्ध एक ही घटना के सम्बन्ध में दो अलग-अलग मामले दर्ज किये। इस घटना कम के सम्बन्ध में थाना कोतवाली द्वारा प्रदर्शन में शामिल रणजीत गूर्जर निवासी ग्राम बलदेवपुरा को गिरफ्तार कर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बून्दी के न्यायालय में प्रस्तुत किया। जहां रणजीत के अधिवक्ता प्रमोद बाकलीवाल एवं प्रबल बाकलीवाल ने थाना कोतवाली, बून्दी के थानाधिकारी एवं अनुसंधान अधिकारी पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट के गिरफ्तारी के सम्बन्ध में दिये गये आज्ञापक आदेशों एवं धारा 41-ए के तहत नोटिस की अवधि पूरी होने के पहले ही गैर कानूनी रूप से गिरफ्तार कर न्यायालय में प्रस्तुत करने को अवैध करार दिये जाने की प्रार्थना की। इस पर निचली अदालत ने प्रार्थना पत्र को ठुकराते हुए पुलिस की कार्यवाही को उचित प्रकट करते हुए गिरफ्तारशुदा अभियुक्त रणजीत को न्यायिक अभिरक्षा में भेजे जाने हेतु रिमाण्ड आदेश पारित कर दिया। निचली अदालत के आदेशों को अभियुक्त के अधिवक्ता बाकलीवाल द्वारा जिला एवं सेशन कोर्ट, बून्दी में चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायिक दृष्टान्त प्रस्तुत करते हुए दलीलें दी कि पुलिस थाना कोतवाली, बून्दी द्वारा राजनैतिक शह पर उनके पक्षकार को गैर कानूनी एवं असंवैधानिक रूप से गिरफ्तार कर, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवज्ञा की गई तथा निचली अदालत द्वारा इस सम्बन्ध में पारित किया गया आदेश विधि सम्मत नहीं है। इस पर सेशन कोर्ट द्वारा दलीलों एवं सुप्रीम कोर्ट के फैसलों में दिये गये दृष्टान्तों से सहमत होते हुए पुलिस की कार्यवाही को गैर कानूनी एवं सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवज्ञा कर किया जाना करार देते हुए निचली अदालत के आदेश को खारिज करते हुए दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही के निर्देश दिये हैं। इस मामले में सेशन कोर्ट बून्दी द्वारा दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ निचली अदालत को राजस्थान उच्च न्यायालय जयपुर में अवमानना कार्यवाही से सम्बन्धित पत्रावली प्रस्तुत किये जाने हेतु भी आदेश दिये है।