बून्दी। हर वर्ष की तरह इस बार भी तारागढ की पहाडी पर स्थित डोबरा का रियासतकालीन मेला रविवार को समाप्त हो गया और सोशल मीडिया पर मेले की संस्कृति को खत्म करने का सवाल आमजन के बीच फिर छोड गया पर संस्कृति को खत्म होने से बचाने के लिये प्रयास धरातल पर नजर नही आये और बूंदी वासी अपनी पुरानी आदत अनुसार सोशल मीडिया पर ही सक्रिय रहे। 
दरअसल रियासतकाल से तारागढ की पहाडी पर चामुंडा माता व डोबरा का मेला आयोजित होता आ रहा है। कुछ वर्षो पूर्व तक रियासतकाल से चामुंडा माता मंदिर व डोबरा महादेव जाने वाले भक्तगण गढ पैलेस के अन्दर से जाया करते थे परन्तु गत तीन वर्षो से गढ प्रबन्धन द्वारा कुछ वर्षो से गढ की सुरक्षा कारणो से गेट नही खोले जाते है इससे लगातार तारागढ के रास्ते चामुंडा माता व डोबरा जाने वाले भक्तगणो की संख्या मे कमी आई है। इसके बाद भक्तगणो ने तारागढ की पहाडी पर जाने के लिये वैकल्पिक रास्ते तलाश लिये जो बदस्तूर जारी है। पर हर वर्ष गढ पैलेस के गेट खोलकर भक्तगणो को तारागढ की पहाडी पर आयोजित होने वाले मेले मे जाने देने की मांग ज्ञापनो के माध्यम से भी पूरी नही हो पाई और इस बार भी रियासतकालीन मेला अपने पुरातत्व वैभव के साथ आयोजित नही हो पाया जिसका मलाल शहरवासियो मे रहा। 
डोबरा मेले की संस्कृति हो रही खत्म
भक्तो के लिये गढ पैलेस के गेट खुलवाने के पक्षधर गढ प्रबन्धन व जिला प्रशासन पर रियासतकालीन मेले की संस्कृति को खत्म करने व हठधर्मिता का आरोप लगा रहे है। इनके सबके बीच डोबरा मेले की संस्कृति को बचाने के पक्षधर या आमजन गढ के गेट खुलवाने के अलावा किसी अन्य व्यवस्था पर विचार नही कर पाये बस मेले की संस्कृति को बचाने के लिये गढ के गेट खुलवाने के चक्कर मे लगे रहे। 
यह आये आमजन से सुझाव
संवाददाता ने जब आमजन से चर्चा की तो आमजन ने मेले की संस्कृति खत्म होने पर दुख जाहिर करते हुये कहा कि बून्दी शहर से दलेलपुरा व बोरखंडी होते हुये डोबरा महादेव मंदिर तक जाने वाली क्षतिग्रस्त सडक का निर्माण हो, सूरज जी के बड से पहाडी पर जाने के लिये भक्तगणो के लिये स्थायी ट्रेक बने, मेले को भव्यता देने के लिये आयोजन समिति बने जिसमे डोबरा महादेव मंदिर व चामुंडा माता मंदिर के पुजारी भी शामिल हो, गढ के गेट खुलवाने के लिये सकारात्मक माहौल मे गढ प्रबन्धन से विस्तृत चर्चा हो। 
इनका कहना है........................

रियासतकालीन व्यवस्थाओ व अभी की व्यवस्थाओ मे काफी अंतर है। गढ मे पेंथर की मूवमेट होने सहित गढ की सुरक्षा व साफ सफाई के कारणो से अनुमति नही दी जा सकती थी। राजपरिवार की संपतियो का दुष्प्रचार करने, गढ प्रबन्धन पर छीटाकशी करने वाले लोगो की मांग पर गढ के गेट नही खोलेगे। फसाड लाईटो को लेकर आये दिन गढ प्रबन्धन को सवालो के घेरे मे खडा किया जा रहा हैै गढ को निजी सपंति बताकर गढ के विधुत कनेक्शन विच्छेद की मांग की जाती है यह उचित नही है। गढ प्रबन्धन पर मेले की संस्कृति को खत्म करने का जहां तक आरोप है शहर के गणमान्य नागरियो प्रबुद्वजनो के साथ सकारात्मक वार्ता से इस समस्या का भविष्य मे समाधान किया जा सकता है। जेपी शर्मा, प्रबन्धक, गढ पैलेस व तारागढ।