जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर बिहार की राजनीति में उतरने वाले हैं। इससे पहले वो अपने कुनबे को बढ़ाने में जुटे हैं। इसके अलावा जातीय समीकरण साधते हुए उन्होंने साफ संदेश दे दिया है कि वे जनसंख्या के हिसाब से भागीदारी भी देंगे। इसके बाद बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है। करीब दो साल से जन सुराज पदयात्रा कर रहे चर्चित चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार के जिलों, प्रखंडों और गांवों तक का दौरा कर अब राजनीतिक पार्टी बनाने और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में उतरने की घोषणा कर दी है। किशोर अपनी पदयात्रा के दौरान अपना कुनबा भी बढ़ाते रहे। राजद, जदयू, भाजपा सहित कई राजनीतिक दलों के जमीनी स्तर के नेता से लेकर जिला स्तर के नेताओं को पार्टी से जोड़ा। प्रशांत किशोर ने सभी जातियों की भागीदारी सुनिश्चित करने को लेकर सामान्य, ओबीसी, मुस्लिम आदि सभी समुदाय को नेतृत्व देने की घोषणा कर दी है। जिस वर्ग की जितनी संख्या है, उस वर्ग के उतने लोग जन सुराज का नेतृत्व करने वाली 25 सदस्यीय समिति में शामिल होंगे। यही सामाजिक प्रतिनिधित्व जन सुराज की सभी समितियों और टिकट वितरण में भी सुनिश्चित किया जाएगा।इस घोषणा के अलावा सामान्य शैक्षणिक योग्यता की भी बात कही गई है। प्रशांत किशोर चुनावी रणनीतिकार रहे हैं और बिहार के गांव-गांव घूम कर इस बात को अच्छी तरह समझते हैं। यही कारण है कि जाति पर ही आधारित फॉर्मूला को लेकर वो सामने आ रहे हैं। राजनीतिक दल बिहार में जनसंख्या के हिसाब से भागीदारी की बात करते हैं लेकिन उतनी हिस्सेदारी नहीं दे पाते। किशोर ने यही चाल चली है। जनसंख्या के अनुपात के आधार पर उनकी पार्टी अपने प्रत्याशी उतारेगी।