राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के दो जिलों और बिहार के कुछ जिलों को मिलाकर एक केंद्र शासित प्रदेश बनाने और उत्तर बंगाल को पूर्वोत्तर का हिस्सा बनाने की कुछ भाजपा नेताओं की मांग का कड़ा विरोध किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि मैं किसी हाल में बंगाल का बंटवारा नहीं होने दूंगी। उन्होंने कहा कि मैं बंगाल को विभाजित करने की चुनौती देती हूं। बंगाल को विभाजित करने का कोई भी साहस नहीं कर सकता है। ममता बंगाल विधानसभा के मानसून सत्र के छठे दिन सदन मेंं पश्चिम बंगाल में भूमि कटाव नियंत्रण और बाढ़ की रोकथाम से संबंधित प्रस्ताव पर बोल रही थीं, जो ध्वनि मत से पारित हो गया। ममता ने कहा कि उनकी सरकार तीस्ता नदी के जल बंटवारे को लेकर भारत और बांग्लादेश के बीच किसी भी समझौते का विरोध करती है। उन्होंने कहा कि वे बांग्लादेश की जनता से प्रेम करती है लेकिन, तीस्ता नदी के जल के बंटवारे का मतलब उत्तरी बंगाल के लोगों को पेयजल तक से वंचित करना होगा। विधानसभा को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि तीस्ता नदी में सर्दी और गर्मी के मौसम में बहुत कम पानी होता है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार को फरक्का संधि को लेकर भारत और बांग्लादेश के बीच चर्चा में आमंत्रित नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि उनका राज्य इस मुद्दे में एक हितधारक है, क्योंकि गंगा नदी पश्चिम बंगाल से होकर पड़ोसी देश बांग्लादेश जाती है। पिछले महीने सीएम ने पीएम को पत्र लिखकर तीस्ता जल बंटवारे और फरक्का संधि के संबंध में बांग्लादेश के साथ चर्चा से पश्चिम बंगाल सरकार को केंद्र द्वारा बाहर रखने पर कड़ी आपत्ति जताई थी।

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