दिल्ली कोचिंग सेंटर हादसे की गूंज अब संसद में भी सुनाई दे रही है। तीन छात्रों की दर्दनाक मौत के बाद सोमवार को संसद में जोरदार हंगामा हुआ और मामले की पूरी जांच कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की गई। लोकसभा और राज्यसभा दोनों में सांसदों ने इस मुद्दे को उठाया और राज्यसभा में एक संक्षिप्त चर्चा हुई जिसमें सांसदों ने पार्टी लाइन से ऊपर उठकर मौतों पर चिंता व्यक्त की। इस मुद्दे पर चिंता जाहिर करते हुए समाजवादी पार्टी सदस्य जया बच्चन ने भी अपनी बात राज्यसभा में रखी। सपा सांसद ने कहा, 'बच्चों के परिवारों के बारे में किसी ने कुछ नहीं कहा। उन पर क्या गुजरी होगी! तीन युवा बच्चे चले गए। हमें इसमें राजनीति नहीं लानी चाहिए। हमने तीन युवा लोगों को खो दिया है। जया बच्चन ने आगे कहा, ‘मैं एक कलाकार हूं, मैं बॉडी लैंग्वेज और चेहरे के भाव समझती हूं। सब लोग अपनी-अपनी राजनीति कर रहे हैं। इस मुद्दे पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। नगर निगम पर भड़कते हुए जया ने कहा कि 'नगर निगम का क्या मतलब होता है। जब मैं यहां शपथ लेने आई तब मुंबई में मेरा घर बेहाल था। वहां घुटने तक पानी भरा था। इस एजेंसी का काम इतना बदतर होता है कि मत पूछिये। इसके लिए हम जिम्मेदार हैं, क्योंकि हम शिकायत नहीं करते हैं और न ही इस पर कार्रवाई होती है। जिम्मेदार प्रभारियों की क्या जिम्मेदारी होती है? और यह सिलसिला चलते जाता है।'जय बच्चन ने मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन की एक कविता की पंक्तियां पढ़कर अपनी बात सदन में खत्म की। ये पंक्ति थी, ‘भार उठाते सब अपने-अपने बल, संवेदना प्रथा है केवल, अपने सुख-दुख के बोझ को सबको अलग-अलग ढोना है। साथी हमें अलग होना है।'