सुकेत कस्बे में नगरपालिका द्वारा कचरा डालने के लिए बनाया गया डपिंग यार्ड लोगों के लिए मुसीबत का कारण बना हुआ है। पालिका द्वारा खुले में डाले जाने वाले कचरे से कई तरह की बीमारियां कस्बे में फैलने का खतरा भी मंडरा रहा है। वही खुले में डाले जा रहे कचरे से गायें प्लास्टिक की थैलियां खा खाकर मौत के मुंह में जा रही हैं।
नगरवासियो के अनुसार ग्राम पंचायत समय से दशहरा मैदान की खाली पड़ी भूमि को डपिंग यार्ड बनाकर पालिका द्वारा कचरा निस्तारण किया जा रहा है। जिस जगह कचरा फेंका जा रहा है। वही से धार्मिक जुलूस मार्ग सहित मुक्तिधाम एवं लोगो के आवागमन का आम रास्ता भी है, लेकिन पालिका को इस बात से कोई फर्क नही पड़ रहा है। वही रास्ते से गुजरने वाले लोग और मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार करने आए लोग इस कचरे से आती दुर्गंध से परेशान है।
-कर्मचारी 43 धरातल पर स्थिति कुछ और
पालिका सूत्रों के जरिये मामले की पड़ताल की तो सामने आया कि कागजो में 43 कर्मचारी नगर पालिका में कार्यकर्त है, लेकिन असल मे धरातल पर 20 से 22 कर्मचारी ही कार्य कर रहे है। इधर ठेकेदार का भी कार्य के प्रति कोई लगाव नही है। पूर्व में ठेकेदार ने श्रमिको पर नजर रखने के लिए एक व्यक्ति को नियुक्त किया हुआ था, लेकिन किसी कारण वश उसे भी हटा दिया गया है। जिसके चलते वर्तमान में श्रमिक अपनी मनमानी अनुसार ही कार्य को अंजाम दे रहे है। ऐसे में नगर में जगह जगह कचरे के ढेर तो लगे ही है। साथ ही घर-घर से कचरा संग्रहण करने वाले वाहन भी घरो तक नही पहुँच पा रहे है। जिसके चलते महिलाएं खाली पड़े भूखण्डों में कचरा डालने को मजबूर हो रही है। जिस कारण महिलाओं में आक्रोश भी व्याप्त है। पड़ताल में सामने आया है कि पालिका द्वारा नियुक्त किए गए दो श्रमिक जमादारों में वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। जिसके चलते धरातल पर श्रमिक पहुँच ही नही पा रहे है।
-दबंग लोगो और नेताओं के घर से बखूबी उठाया जा रहा कचरा
वार्ड नंबर 13 की महिलाओं ने बताया कि शुरू शुरू में कचरा पात्र वाहन वार्ड में आते थे, लेकिन अब तो महीनों तक कचरा पात्र वाहन वार्ड में दिखाई नही देते। कई बार फोन या अवगत करवाने पर वाहन 1 बार आता है। उसके बाद 20 से 25 दिन वाहन गायब हो जाता है। ज्यादा पूछने या कहने पर वाहन को खराब बता दिया जाता है, जबकि अन्य वार्ड में वाहन पहुँच रहे है। महिलाओ ने आरोप लगाया है कि नगर में दबंग लोगो और नेताओं के घरों से कचरा उठाने के कार्य को बखूबी अंजाम दिया जा रहा है, और आम जनता को परेशान किया जा रहा है।
नगरवासियो ने बताया कि नगर को कचरा मुक्त करने के लिए पालिका के पास पर्याप्त संसाधन नही है। हजारो की आबादी और 27 वार्डो से कचरा संग्रहण करने के लिए पालिका ने केवल 4 कचरा टिपर चला रखे। जिनमे से अधिकतर टिपर तो ब्रेक डाउन पड़े रहते है। ऐसे में कई वार्डो में वाहन नही पहुँच पा रहे है। इधर पालिका के पास डंपिंग यार्ड के लिए पर्याप्त भूमि भी नही है। ऐसे में पालिका खुले में कचरा डालकर नगर वासियो को मुसीबत में डालने का कार्य कर रही है। वही खुले में पड़े कचरे से गाये प्लासिटक की थैलिया खाकर मर रही है। जिसके जिम्मेदार केवल पालिका है। उन्होंने बताया कि आगे भी पालिका द्वारा व्यवस्थाओ में सुधार नही किया गया तो मजबूरन सड़को पर उतरकर उग्र प्रदर्शन करना पड़ेगा।
-ये बोले जिम्मेदार
पालिका अध्यक्ष गोरधन मेहरा ने बताया कि डंपिंग यार्ड एएसआई कम्पनी की बन्द पड़ी खदान में बनाया गया है, लेकिन बारिश के चलते कचरा पात्र वाहन खदान तक नही पहुँच पा रहे है। ऐसे में कर्मचारी कचरा खुले मैदान में डालकर आ रहे है। नगर में 3 कचरा पात्र वाहन चल रहे है। वही 2 वाहन खराब है। जिन्हें सही होने के लिए भेजा गया है। जल्द ही सही होकर आ जाएंगे।