नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने आवासन मंडल समेत प्रदेश के नगरीय निकाय, नगर विकास न्यास, विकास प्राधिकरणों में सरकार स्तर पर होने वाले कार्यविभाजन के स्टेंडिंग आदेश में छह माह बाद ही संशोधन कर दिया है। मंत्री ने इसमें भी कई अतिरिक्त वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार अपने पास ही रखे हैं। आवासन मंडल में छोटा सा टेंडर करने से लेकर कर्मचारियों के काम और प्रतिनियुक्ति की अंतिम स्वीकृति के लिए मंत्री की अनुमति लेते रहना होगा। बीस लाख रुपए से ज्यादा का फर्नीचर खरीदने के लिए लिए मंत्री स्तर पर फाइल भेजनी ही होगी। समितियों और अध्यक्ष के अधिकार भी सीमित ही रखे गए हैं। संशोधन के पीछे अधिकारी तर्क दे रहे हैं कि पिछले आदेश में कुछ क्लेरिकल कमियां रह गई थी, केवल उन्हें ही सही करके संशोधित आदेश जारी किए गए हैं। रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथोरिटी (रेरा), आवासन मंडल में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति, उनको पद से हटाने या उनके कार्यकाल को बढ़ाने का फैसला मंत्री और सीएम के पास ही होगा।नगर विकास न्यास, विकास प्राधिकरण में चार करोड़ रुपए से ज्यादा के टेंडर की फाइल मंत्री के पास जाएगी। जबकि, इससे कम राशि की टेंडर की फाइल को मंजूरी के लिए प्रमुख शासन सचिव को भिजवाई जाएगी।आवासन मंडल के मामले में हर निविदा की फाइल मंत्री के पास जाएगी। पहले 25 लाख से 10 करोड़ रुपए तक के टेंडर स्वीकृति के अधिकार अधिकारियों व विभिन्न कमेटियों के पास थे।
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