बच्चे गाहे-बगाहे शिकायत करते हैं। अपनी मर्जी को वे अहमियत देते हैं, लेकिन अगर वे ऐसा रोज़ और हर मुद्दे पर कर रहे हैं तो इस ओर गंभीरता से ध्यान देने की ज़रूरत है...

मम्मी, भैया ने मुझे मार दिया। मम्मी, दीदी खेलने नहीं दे रही है या मम्मी, आप हमेशा मुझे ही क्यों सज़ा देती हैं! ऐसे शब्द आपने कुछ बच्चों के मुंह से अक्सर ही सुने होंगे। लेकिन अगर बच्चे के पास हर बात पर शिकायतों का पुलिंदा मिले, जैसे- मुझे सही दोस्त नहीं मिलते, भाई के लिए ही अच्छी ड्रेसेस आती हैं, मुझे कहीं नहीं जाना किसी के साथ, कोई अच्छा नहीं है आदि। तो सावधान हो जाएं।

ये हो सकते हैं शिकायत के कारण...

ध्यान कम है या ज़्यादा

कई बार बच्चे बड़ों का ध्यान खींचने के लिए भी शिकायत करना अपनी आदत बना लेते हैं, तो ऐसे में अभिभावकों को उनके लिए समय निकालना होगा। कभी ऐसा भी होता है कि मां-पिता पूरे समय बच्चे के पीछे लगे रहते हैं, तो वो अपने स्पेस की कमी के चलते शिकायतें करने लगते हैं।

डांट ना खानी पड़े

छोटे बच्चों में अक्सर ही ये देखने को मिलता है कि कभी किसी के साथ खेलने या काम करने में वे ग़लती करते हैं, लेकिन डांट से बचने के लिए पहले ही शिकायत कर देते हैं ताकि उन पर दोष ना आए।भी