माइक्रोसॉफ्ट ने बीते शुक्रवार को एक बहुत बड़े आउटेज का सामना किया है। मगर ये पहली बार नहीं है जब दुनिया भर में लोगों ने इतने बड़े आउटेज से डील किया है। इससे पहले भी कई बार लोगों ने अलग-अलग प्लेटफॉर्म के जरिए इंटरनेट की दुनिया को थमते हुए देखा है। यहां हम इन बड़े आउटेज के बारे मे जानेंगे
हाल ही में, क्राउडस्ट्राइक अपडेट में खराबी के कारण माइक्रोसॉफ्ट ने बहुत बड़े आउटेज का सामना किया है। बता दें कि क्राउडस्ट्राइक फाल्कन सेंसर सॉफ्ट के दोषपूर्ण अपडेट के कारण 19 जुलाई, 2024 को एक बड़ा आईटी आउटेज हुआ। इसके कारण माइक्रोसॉफ्ट विंडोज क्रैश के साथ दुनिया भर में कई बिजनेस कई घंटो को लिए बंद हो गए थे।
बता दें कि ये पहली बार नहीं है जब लोगों ने इंटरनेट आउटेज की समस्या का सामना किया है। यहां हम उन सभी आउटेज की बात करेंगे, जिसने घंटो के लिए इंटरनेट की दुनिया को रोक दिया है। आइये इनके बारे में जानते हैं।
- 16 जुलाई 1997 को मे पहली बार दुनिया ने एक बड़े आउटेज का सामना किया है। इसे DNS TLD आउटेज का नाम दिया गया । ये ग्लोबल इंटरनेट आउटेज डोमेन नेम सिस्टम विफलता के कारण हुआ।
- इससे लगभग 5 करोड़ यूजर्स प्रभावित हुए थे।
- बता दें कि चार घंटे तक, ईमेल और वेब ब्राउजिंग जैसी सेवाएं बाधित रहीं, जो हमारी इंटरनेट निर्भरता के शुरुआती दिनों को दर्शाता है।
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Y2K बग (2000)
- धीरे-धीरे समय के साथ इंटरनेट की निर्भरता बढ़ती गई और 2000 में Y2K बग का डर दुनिया भर में फैल गया।
- यह समस्या कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में दो अंकों के इयर कोड के उपयोग से जनरेट हुई।
- बता दें कि 1960 से 1980 तक डेटा स्टोरेज स्पेस को बचाने के लिए पूरी साल के बजाय केवल आखिर के 2 अंको का इस्तेमाल करते थे।
- मगर 2000 आने के साथ ही यह एक अहम समस्या बन गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि सिस्टम 2000 को 1900 के रूप में गलत तरीके से समझ सकता है।
- Y2K बग के कारण बैंकों के कंप्यूटरों में ब्याज दरों की गलत गणना हुई, जिसके परिणामस्वरूप ग्राहकों से गलत ब्याज शुल्क लिया गया। कुछ मामलों में ग्राहकों से 100 साल पुराने ब्याज दरों के आधार पर शुल्क लिया गया।
- पावर प्लाट सेफ्टी जांच और नियमित रखरखाव के लिए कंप्यूटर पर निर्भर थे। मगर Y2K बग के कारण इन कंप्यूटरों में खराबी आने की आशंका थी, जिससे बिजली की आपूर्ति में व्यवधान और बिजली संयंत्रों को नुकसान हो सकता था।
- Y2K बग के कारण एयरलाइंस की कंप्यूटर में खराबी आने की आशंका थी, जिससे उड़ानों में देरी, रद्द या हवाई दुर्घटनाएं भी हो सकती थीं।