सांगोद, कोटा देवशयनी एकादशी के साथ ही बुधवार से मांगलिक आयोजनों पर विराम लग गया। इस दौरान विवाह संस्कार समेत सभी मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे। चार माह बाद देवउठनी एकादशी से मांगलिक कार्य शुरू होंगे। बुधवार को एकादशी पर बालिकाओं ने लाडी बोहनी पर्व भी मनाया। बालिकाएं सज धज कर अपनी सखियों के साथ नदी के तट पर पहुंची और पूजा अर्चना कर मान्यतानुसार कपड़े से बनी लाडियों को नदी के पानी में विसर्जित किया तथा गुड़-शक्कर व गेहूं से बने प्रसाद का वितरण किया। इससे पूर्व सुबह से ही घरों में बालिकाएं अपने परिजनों के साथ कपड़े की लाडी बनाने में जुटी रही। देर शाम को यहां उजाड़ नदी के तटों पर खासकर गणेशकुंज में बालिकाओं की भीड़ लगी रही। बालिकाओं ने नदी के पानी में कपड़े से बनी लाडियों को प्रवाहित कर प्रसाद खिलाया। वहीं देवशयनी एकादशी के साथ ही शहनाईयों की गूंज भी थम गई। चार माह बाद देशउठनी एकादशी से मांगलिक आयोजनों की शुरूआत होगी। माना जाता है कि क्षीर सागर में चार मास तक भगवान विष्णु समेत सभी देवी देवता भी विश्राम करते है। मान्यता है कि इस दौरान शुभ व मांगलिक कार्यो में देवी देवताओं की उपस्थिति नहीं होने से कार्य की सम्पन्नता नहीं होती