राजस्थान विधानसभा में पहला पूर्ण बजट पेश करने के बाद भजनलाल सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है, जिसकी चर्चा इस वक्त पूरे प्रदेश में हो रही है. राजनीतिक गलियारों में इसे मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का 'मास्टरस्ट्रोक' कहा जा रहा है, जिसके तहत अब गृह-शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभागों की अनुदान मांगों पर अब सदन में बहस और मतदान नहीं होगा. इस फैसले के पीछे कोई ठोस वजह अभी तक सामने नहीं आई है. लेकिन कहा जा रहा है कि जिस तरह सदन में विपक्ष ने कानून व्यवस्था व शिक्षा मंत्री के बयान को मुद्दा बनाया है, इससे राज्य सरकार को चिंता सताने लगी है. ऐसे में अगर इन विभागों पर बहस के बाद मतदान हुआ और उसमें विपक्ष जीत गया तो बजट घोषणाओं पर पानी फिर सकता है. इस लिहाज से प्रदेश सरकार ने 'मुख बंद' का प्रयोग किया है. इससे पहले जुलाई 2019 में पूर्व सीएम अशोक गहलोत भी इस दांव को चलकर ऐसे संकट से उबर चुके हैं. इतना ही नहीं, प्रश्नकाल की कार्यवाही के दौरान जब कांग्रेस विधायक इंदिरा ने महिला प्रताड़ना के दर्ज मामलों को लेकर सवाल पूछा तो सरकार के जवाब पर सदन में जमकर हंगामा हुआ. चिकित्सा मंत्री ने सदन में बताया कि 1 जनवरी 2024 से 30 जून 2024 तक राज्य में महिलाओं के खिलाफ 20 हजार से अधिक मामले दर्ज हुए हैं. भजनलाल सरकार में क्राइम का ये आंकड़ा सुनकर सभी हैरान रह गए और सरकार पर सवाल उठाने लगे. हालांकि चिकित्सा मंत्री ने बीते 4 साल का डेटा जारी करते हुए बताया कि ये आंकड़े गहलोत सरकार में दर्ज हुए मामलों से 6 प्रतिशत कम हैं.