दुनियाभर की नजरें ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर पर है। दरअसल चार धामों में से एक भगवान जगन्नाथ मंदिर के 46 वर्ष से बंद रत्न भंडार को रविवार को खोला जाएगा। हाई कोर्ट के न्यायाधीश के नेतृत्व में बनी समिति ने मंदिर के रत्न भंडार को खोलने की अनुमति राज्य सरकार और मंदिर प्रबंधन समिति से मांगी थी। कानून मंत्रालय की ओर से अनुमति मिलने पर करीब चार दशक बाद रत्न भंडार का दरवाजा खोला जाएगा। आखिरी बार इसका दरवाजा 1985 में खुला था लेकिन तब सिर्फ मरम्मत की गई थी। रत्न भंडार में मौजूद खजाने का लेखा-जोखा आखिरी बार 1978 में लिया गया था। जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के आभूषणों और कीमती सामान की सूची बनाने की जिम्मेदारी संभाल रही समिति के अध्यश्र जस्टिस बिस्वानाथ रथ कहना है कि चाबी मिले या नहीं, निर्धारित प्रक्रिया के तहत ताले को खोला जाएगा। रविवार को खजाने की गणना करने वाली टीम मंदिर के उत्तरी हिस्से में स्थित रत्न भंडार में प्रवेश करेगी। जब तक रत्न भंडार के सभी सामान की गणना होगी, ये शाकाहार और सात्विक रहेंगे। अंदर जाने वाली टीम को कहा गया है कि वहां जो भी देखेंगे किसी को नहीं बताएंगे।रत्न भंडार दो हिस्से में है। पहला हिस्सा बाहरी रत्न भंडार में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी के आभूषण आदि रखे हुए हैं। साल में पांच बार जब प्रभु का विशेष श्रृंगार होता है तब इसे खोला जाता है। इसे 17 जुलाई को भी खोला जाएगा, तब भगवान गुंडिचा मंदिर से वापस अपने श्रीमंदिर में आएंगे। एक क्विंटल से अधिक सोने का आभूषण पहनेंगे। अंदर का रत्न भंडार 46 साल बाद खुलेगा। बताया जा रहा है कि बारिश में पानी रिसता है, खजाने की मरम्मत को लेकर भी योजना बनाई जाएगी। खजाने की गिनती करने वाली टीम में पुरी के राजा गजपति महाराज का एक प्रतिनिधि, स्वामी प्रज्ञानंद महाराज, एएसआई का एक सदस्य, चीफ एडमिनिस्ट्रेटर या उनका प्रतिनिधि, भंडार का लेखा-जोखा रखने वाले दो पुजारी, राजा और मंदिर के बीच का मीडिएटर सेवायत, सेंड आर्टिस्ट सुदर्शन, कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. पीके मोहंती समेत 16 लोग होंगे। सुबह सबसे पहले भंडार के रक्षक भगवान लोकनाथ महादेव की पूजा करने के बाद टीम अंदर जाएगी।