पन्ना जिले में लोक शिक्षण संचालनालय का आदेश बना मजाक,खुले आम मनमानी पर उतारू निजी विद्यालय किसी नियम को मानने में नहीं दिखा रहे रुचि

डीपीसी,जिला शिक्षा अधिकारी ,जिला सीईओ बने मूक दर्शक

निजी विद्यालय संचालक किस कदर शिक्षा विभाग पर हावी है उसकी बानगी जिले भर के संचालित हो रहे विद्यालयों में चल रही मनमानी से समझ आता है।बहुत से प्राइवेट विद्यालय ऐसी किताबे अभिभावकों को लेने के लिए बाध्य करते है जिनमे निर्धारित राशि से लगभग 10 गुना राशि प्रिंट होती है,साथ की कुछ विद्यालय तो खुद अपने कैंपस में ही अभिभावकों को किताबे उपलब्ध करा रहे है जो नही करा रहे वो अपनी कमीशन के चक्कर में किताब विक्रेता विशेष के यहां जाने को प्रेरित कर रहे है। यहां तक कि लोक शिक्षण संचनालय के नियम अनुसार विद्यालय की शिक्षण से फीस पोर्टल पर दर्ज होना अनिवार्य है और आज भी बहुत से समझे विद्यालय की यह जानकारी दर्ज नहीं कराई गई। जिसके कारण ऐसे विद्यालय अभिभावकों से मनमानी फीस वसूल रहे हैं वहीं जिनकी फीस पोर्टल पर दर्ज हो चुकी है वह भी शिक्षा विभाग को ठेका दिखाते हुए दर्ज फीस से ज्यादा शुल्क अभिभावकों से वसूल रहे है।

शिक्षा को व्यवसाय बना कर लूट मचाने वाले प्राइवेट संचालकों पर आखिर शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों की नजर क्यों नही जा रही?इसको लेकर कई तरह के चर्चा का बाजार गर्म है।

क्या शिक्षा विभाग की समिति के अध्यक्ष जिला कलेक्टर पन्ना इस पर संज्ञान लेंगे जैसे अन्यत्र जिलों में लिया गया है?