बून्दी। लंबित मांगो के समाधान की मांग को लेकर मुख्यमंत्री व पंचायती राज मंत्री के नाम जिला कलक्टर को ज्ञापन देने आये जिले के सरपंच कलेक्ट्रेट के मुख्य द्वार पर जिला व पुलिस प्रशासन की हठधर्मिता व जनप्रतिनिधीयो के अपमान को लेकर बिफर पडे। इस दौरान सरपंचो ने जमकर जिला प्रशासन को कोसते हुये अपने संवेधानिक अधिकारो के हनन व पंचायती राज जनप्रतिनिधीयो के अपमान का आरोप जड दिया।
दरअसल शुक्रवार दोपहर सरपंच संघ के प्रदेशव्यापी आहवान पर जिले के सरपंच पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार पुरानी पन्द्रह लंबित मांगो के स्थायी समाधान नही होने, गांवो मे हो रही अघोषित बिजली कटौती ये व्यथित होकर मुख्यमंत्री के नाम कलक्टर को ज्ञापन देने पुहंचे थे। कलक्टर को ज्ञापन देने के लिये जब सरपंच प्रदर्शन करते हुये कलेक्ट्रेट मे घुसने लगे तो पुलिस उपाधीक्षक अमर सिंह व शहर कोतवाल ने सरपंचो को रोक लिया और पूर्व व्यवस्थानुसार सरपंचो के पांच सदस्यीय प्रतिनिधीमंडल को ही कलेक्ट्रेट मे प्रवेश देकर ज्ञापन देने की अनुमति दी इससे सरपंच नाराज हो गये और उपस्थित संख्याअनुसार की कलक्टर से मिलकर ज्ञापन देने पर अड गये। काफी प्रयासो के बाद भी सरपंचो को जब पुलिस ने पांच से अधिक संख्या मे भीतर प्रवेश देने के लिये सहमति नही दी तो सरपंचो ने कलेक्ट्रेट के मुख्य द्वार पर ज्ञापन चस्पा करने का निर्णय लिया।
इस दौरान सरपंचो ने कहा कि हम शांतिपूर्वक हमारी मांगो को लेकर ज्ञापन देने आये थे सरपंच अपनी अपनी ग्राम पंचायतो के मुखिया होते है जिला व पुलिस प्रशासन द्वारा तानाशाही रवैया अपनाते हुये सरपंचो के साथ दुव्र्यवहार किया गया है। संरपचो को जितना दबाया जायेगा उतना ही आंदोलन उग्र होगा। प्रदर्शन मे शामिल सभी सरपंचो को कलक्टर से मिलने की अनुमति नही दी गई है इसकी हम निंदा करते है। जल्द सभी सरपंच आंदोलन की रूपरेखा बनाकर वापस आयेगे। इसके बाद सरपंचो ने सामूहिक रूप से ज्ञापन और कलेक्ट्रेट के मुख्य द्वार पर चस्पा किया और वापस लौट गये।
इनका कहना है......................
अघोषित बिजली कटौती की वजह से ग्रामीण जन जीवन अस्त व्यस्त हैै पर कोई सुनवाई नही है वही हमारी लंबित मांगो मे ग्राम पंचायतो की अनुदान राशि बकाया है, दो वित्तीय वर्ष की मनरेगा सामग्री खरीद का भुगतान बकाया है, जल जीवन मिशन ग्राम पंचायतो पर थोप दिया गया इसको पीएचईडी को वापस संभलाया जाना चाहिए, प्रथम चरण मे हुये चुनावो मे सरपंचो को कार्यकाल बढाया जाना चाहिए। पंचायती राज की प्रथम सीढी के मुखिया होने के बाद भी हमारी सुनवाई नही हो रही है उपर से जिला प्रशासन तानाशाही रवैया अपना रहा है। आनंदीलाल मीणा, जिलाध्यक्ष, सरपंच संघ