शादी के बाद संतान न होना हर दंपत्ति के लिए एक बड़ी समस्या की वजह होती है। संतान न होने के पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। इसमें समाज में लोगों की बदलती मानसिकता भी एक अहम रोल अदा करती है। दरअसल, उम्र बढ़ने के साथ ही महिला और पुरुषों की फर्टिलिटी क्षमता तेजी से कम होने लगती है। इसके अलावा, लगातार खराब होती लाइफस्टाइल भी फर्टिलिटी क्षमता को कम होने की बड़ी वजह मानी जाती है। आज के समय में  फाइनेंशियल रूप से स्टेबल होने के चलते महिला व पुरुष शादी से पहले करियर को प्राथमिकता देते हैं। करियर को बनाने के चलते युवाओं का पूरा फोकस काम पर होता है। ऐसे में वह खाने पीने का भी ध्यान नहीं दे पाते हैं। सही समय पर डाइट न लेना और जंक फूड का सेवन करने के कारण लोगों को मोटापे का शिकार होना पड़ता है। मोटापा शरीर के कई रोगों का कारण बनता है और यह महिला और पुरुष दोनों की फर्टिलिटी को भी प्रभावित करता है। मोटापा आपकी नेचुरल फर्टिलिटी क्षमता को खराब कर सकता है। ऐसे में दंपत्ति के पास आईवीएफ तकनीक का सहारा होता है। हर निःसंतान दंपत्ति के लिए यह तकनीक किसी वरदान से कम नहीं है। इस लेख में मोटापा किस तरह आपकी फर्टिलिटी क्षमता को प्रभावित करता है और आईवीएफ तकनीक का सफर मुश्किल कर सकता है, आदि जानकारियों के बारे में बताया गया है। 

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आईवीएफ तकनीक के हर पहलू और परेशानियों को समझने के लिए OnlymyHealth ने Khushkhabri with IVF सीरीज को शुरु किया है। इस विषय को समझने के लिए हमारी टीम ने ठकराल होस्पिटल एंड फर्टिलिटी सेंटर, गुड़गांव की डायरेक्टर डॉक्टर नीरु ठकराल से जानते हैं कि मोटापा किस तरह से फर्टिलिटी को प्रभावित करती है और मोटापा किस तरह से आईवीएफ ट्रीटमेंट को प्रभावित करता है? इस बारे में विस्तार से जानते हैं।  

मोटापा से पुरुषों की फर्टिलिटी पर क्या प्रभाव पड़ता है? 

  • मोटापा हार्मोनल बदलाव होने की एक बड़ी वजह हो सकता है। मोटापा टेस्टोस्टेरोन को एस्ट्रोजन में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को बढ़ा सकता है। एस्ट्रोजन के बढ़े हुए स्तर से टेस्टोस्टेरोन में कमी होने के कारण स्पर्म बनने की प्रक्रिया को बाधित कर सकती है। इससे शुक्राणु (स्पर्म) की संख्या और क्वालिटी खराब हो सकती है। 
  • मोटापा पुरुषों में इंसुलिन रेजिस्टेंस और डायबिटीज को बढ़ाने की वजह बन सकता है। इंसुलिन रेजिस्टेंस की वजह से ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस बढ़ सकता है, जो स्पर्म के डीएनए में बदलाव कर सकता है। 
  • मोटापे की वजह से सूजन की समस्या हो सकती है। सूजन की वजह से टेस्टिकल प्रभावित होते हैं, इससे स्पर्म बनने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। 
  • मोटापा स्पर्म की संख्या में कमी का कारण बन सकता है। इसके साथ ही स्पर्म के आकार और बनावट में बदलाव होता है। यह प्रेग्नेंसी के बाद मिसकैरेज क वजह बन सकती है। 
  • मोटापे की वजह से नसों पर दबाव पड़ सकता है, जो पुरुषों में इरेक्टालइल डिस्फंक्शन का कारण बन सकती है। मोटापा ब्लड सर्कुलेशन को भी कम कर सकता है। इसकी वजह से पुरुषों की सेक्सुअल पर्फोमेंस भी प्रभावित हो सकती है। 

    मोटापे की वजह से महिलाओं की फर्टिलिटी कैसे प्रभावित होती है? 

    • मोटापा महिलाओं की ओविलेशन और मेंस्ट्रुअल साइकिल को प्रभावित कर सकती है। 
    • मोटापा महिलाओं की एग क्वालिटी और एंब्रियो के बनने की प्रकिया को नुकसान पहुंचा सकता है। 
    • गर्भाशय की परत एंडोमेट्रियम, भ्रूण के सफल प्रत्यारोपण के लिए स्वस्थ होनी चाहिए। लेकिन, मोटापा हार्मोनल असंतुलन, इंसुलिन रेजिस्टेंस और सूजन के कारण एंडोमेट्रियल रिसेप्टिविटी को खराब कर सकता है। 
    • मोटापा प्रेग्नेंसी के बाद भी कई तरह की जटिलताओं की वजह बन सकता है। मोटापे के कारण महिलाओं को जेस्टेशन डायबिटिज, प्रीक्लेम्पसिया और समय से पहले बच्चे के जन्म का जोखिम अधिक होता है। 

      कितना मुश्किल है मोटापे में IVF का सफर? 

      हार्मोनल असंतुलन और IVF की सफलता

      आईवीएफ प्रक्रिया में हार्मोन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अधिक वजन वाली महिलाओं में फैट टिश्यू  एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और इंसुलिन जैसे हार्मोन के संतुलन को बाधित कर सकता है। फैट टिश्यू द्वारा उत्पादित एस्ट्रोजन की अधिक मात्रा प्रजनन हार्मोन को नियंत्रित करने वाले सामान्य प्रतिक्रिया को खराब कर सकती है। इससे पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) जैसी समस्याएं हो सकती हैं। PCOS आमतौर पर मोटापे से जुड़ा होता है और इसके चलते एनोव्यूलेशन (अंडोत्सर्ग की कमी) हो सकता है, जो IVF प्रक्रिया को जटिल बनाता है।

      आईवीएफ उपचार के दौरान, एक साथ कई एग्स बनाने के लिए ओवरियन स्टिम्यूलेशन ( controlled ovarian stimulation -COS) का उपयोग किया जाता है। हालांकि, अधिक वजन वाली महिलाओं में ओवरियन स्टिम्यूलेशन की प्रतिक्रिया अनियंत्रित हो सकती है। ऐसे में महिलाओं को दवाओं के हाई डोज की आवश्यकता होती है। इसके बाद भी एग्स की संख्या और क्वालिटी प्रभावित होने की संभावना रहती है, जो भ्रूण के विकास की संभावना को कम कर सकती है।

      एग्स क्वालिटी और एंंब्रियो वायाब्लिटी 

      आईवीएफ के दौरान निकाले गए एग्स की क्वालिटी ट्रीटमेंट की सफलता का काफी महत्वपूर्ण होती है । जबकि, अधिक वजन वाली और मोटापे से ग्रस्त महिलाओं में सामान्य वजन वाली महिलाओं की तुलना में अक्सर एग्स की क्वालिटी खराब देखने को मिलती है। खराब एग्स की क्वालिटी के कारण फर्टिलिटी रेट कम हो सकता है, जिससे इम्प्लांटेशन और गर्भावस्था की संभावना कम हो जाती है।

      एंडोमेट्रियल रिसेप्टिविटी की भूमिका

      एंब्रियो के सफलतापूर्वक इम्प्लांटेशन होने के लिए एंडोमेट्रियम या गर्भाशय की परत को स्वस्थ होना चाहिए। अधिक वजन वाली और मोटापे से ग्रस्त महिलाओं को अक्सर एंडोमेट्रियल रिसेप्टिविटी की समस्या का सामना करना पड़ता है। मोटापे के साथ सूजन और इंसुलिन संबंधी समस्या एंडोमेट्रियल को प्रभावित कर सकती है, इससे एंब्रियो के इम्प्लांटेशन की प्रक्रिया बाधित हो सकती है, जो आईवीएफ के फेलियर के चांसेज बढ़ा सकती है। 

      आईवीएफ की सफलता दर को बढ़ाने के लिए क्या करें? 

      • वजन को मेैनेज करें: आईवीएफ ट्रीटमेंट शुरू करने से पहले वजन का हेल्दी होना बेहद आवश्यक है। शरीर के वजन कम करने से प्रजनन क्षमता और आईवीएफ की सफलता दर बढ़ने की संभावना अधिक होती है।
      • हेल्दी डाइट और एक्सरसाइज: फलों, सब्जियों, और साबुत अनाज को डाइट में शामिल करने और नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से आप संपूर्ण स्वास्थ्य और हार्मोन को नियंत्रित कर सकते हैं। 
      • मेडिकल सपोर्ट: पीसीओएस, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी स्थितियों का मैनेज करने के लिए डॉक्टर से मदद ले सकती हैं। 
      • काउंसलर का सपोर्ट: आईवीएफ के दौरान मोटापे की वजह से होने वाली भावनात्मक चुनौतियों को कम करने के लिए आप काउंसिलिंग ले सकती हैं। 

      आईवीएफ ट्रीटमेंट दंपत्तियों की संतान प्राप्ति की समस्या को दूर करने का एक सफल माध्यम हो सकता है। आज के समय में संतान की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए यह तकनीक वरदान की तरह हो सकती है। इसकी जागरुकता के लिए कई तरह के कार्यक्रम किए जाते हैं। बीते दिनों दिल्ली में वॉइस ऑफ हेल्थकेयर के द्वारा आईवीएफ की चुनौतियों और नई तकनीक के उपयोग पर नेशनल आईवीएफ सब्मिट का आयोजन किया गया था। इसमें दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों के निदेशक और वरिष्ठ डॉक्टरों ने आईवीएफ की तकनीक पर विस्तार से चर्चा की। इसमें वॉयस ऑफ हेल्थकेयर के फाउंडर डॉक्टर नवीन निश्चल ने आईवीएफ की नई तकनीकों और चुनौतियों पर लोगों को जागरुक किया। आप Khushkhabri with IVF की सीरीज का यह लेख अपने दोस्तों और करीबियों के साथ शेयर कर सकते हैं।