लोकसभा 2024 का चुनाव पूर्व से लेकर पश्चिम, उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक की कई पार्टियों के लिए शुभ नहीं रहा। पिछली साल तक जहां तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव भारतीय जनता पार्टी को केंद्र की सत्ता से उखाड़ फेंकने की बात कर रहे थे, वहीं आज वो बीजेपी के साथ हाथ मिलाने के लिए बेकरार है। इसके पीछे पार्टी से लेकर परिवार तक को बचाने की बात सामने आ रही है। लेकिन उससे पहले जान लेते है कि तेलंगाना में 2019 और 2024 में पार्टियों ने कैसा प्रदर्शन किया था। हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव की पार्टी भारत राष्ट्र समिति को करारी हार का सामना करना पड़ा है, जबकि केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने उम्दा प्रदर्शन किया है। राज्य की कुल 17 लोकसभा सीटों में से 8 पर बीजेपी की जीत हुई है, जबकि 8 पर राज्य की सत्ताधारी कांग्रेस और एक पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM की जीत हुई है। 5 साल पहले यानी 2019 में KCR की पार्टी ने 9 और बीजेपी ने चार सीटों पर जीत दर्ज की थी। हालिया चुनावों में मिली करारी शिकस्त के बाद केसीआर जहां बीमार पड़े हैं और जनसंपर्क से कटे हुए हैं, वहीं बीआरएस के नेता एक-एक कर पार्टी छोड़ते जा रहे हैं। इसके अलावा बीआरएस को अपने नेताओं पर मुकदमे का भी डर सता रहा है क्योंकि राज्य की कांग्रेस सरकार पूर्ववर्ती सरकार के नेताओं पर शिंकजा कस रही है। ऐसे में एक तरफ राज्य सरकार की एजेंसियों की कार्रवाई का डर है तो दूसरी तरफ केंद्रीय एजेंसियों के रडार पर केसीआर की विधायक बेटी के कविता आई हुई हैं। वह दिल्ली के कथित शराब घोटाले में पिछले पांच महीने से जेल में बंद हैं और ईडी के निशाने पर हैं। इन परिस्थितियों में माना जा रहा है कि के चंद्रशेखर राव पहले परिवार और फिर पार्टी को बचाने के लिए किसी के साथ भी गठबंधन करने को राजी हो सकते हैं। कांग्रेस चूंकि परंपरागत विरोधी रही है, इसलिए केसीआर के पास बीजेपी से गठजोड़ का विकल्प ज्यादा बेहतर हो सकता है और इसका त्वरित फायदा उन्हें बेटी को ईडी की कार्रवाई से राहत के रूप में मिल सकता है। बीजेपी की दक्षिणी में विजय की चाह और केसीआर की सत्ता में वापसी की चाह दोनों दलों को बातचीत के लिए नजदीक आने पर मजबूर कर रही है।