राजस्थान की सियासत में वसुंधरा राजे की अहमियत काफी रही है. हाल ही में लोकसभा चुनाव में वसुंधरा राजे खुद को अपने बेटे की सीट झालावाड़ तक सीमित रखा. इसके बाद काफी सवाल खड़े हुए. रविवार (7 जुलाई) को ही सतिश पूनिया ने वसुंधरा राजे की अनदेखी पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मैं देखी और अनदेखी की परिभाषा क्या है वो मुझे नहीं पता लेकिन उनको लेकर यह जरूर कहना चाहूंगा कि पार्टी ने उन्हें अटल बिहारी वाजपेई सरकार में केंद्र में मंत्री पद की जिम्मेदारी और दो बार प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया वो कई बार संसद और विधानसभा की कई बार सदस्य रही हैं. वह पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है और इतने लाखों करोड़ों लोगों में उनका चंद लोगों में शुमार होना यह कोई कम सम्मान नहीं है. वहीं अब वसुंधरा राजे से मुलाकात करने उनके आवास 13, सिविल लाइन पर सीएम भजनलाल शर्मा खुद पहुंचे हैं. इसके बाद प्रदेश की सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. इस मुलाकात के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. 10 जुलाई को राजस्थान विधानसभा में भजनलाल सरकार अपना पहला पूर्ण बजट पेश करने वाली है. ऐसे में माना जा रहा है कि वसुंधरा राजे से मुलाकात कर बजट को लेकर भजनलाल शर्मा चर्चा किया है. वसुंधरा राजे राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री रही हैं. इस वजह से भजनलाल शर्मा खुद उनसे शायद बजट पर सलाह लेने पहुंचे हैं. लोकसभा चुनाव में वसुंधरा राजे का अकेले और अलग चलना बीजेपी को राजस्थान में काफी नुकसान पहुंचाया है. अब राजस्थान में 5 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. ऐसे में भजनलाल शर्मा इस बार सबको साथ लेने की कवायद में जुटे हैं. उपचुनाव में जीत हासिल करना भजनलाल शर्मा के लिए अग्नि परीक्षा से कम नहीं है. इस वजह से शायद भजनलाल शर्मा को भी वसुंधरा राजे की अहमियत का पता चल चुका है. सीएम भजनलाल शर्मा उपचुनाव में किसी तरह की चूक नहीं चाहते हैं. वसुंधरा राजे अगर उपचुनाव में मदद करती हैं तो बीजेपी को निश्चित तौर पर इसका लाभ मिल सकता है.