हद से ज्यादा हर चीज आफत लाती है, क्योंकि जून में गर्मी से निजात पाने के लिए जिस मानसून का इंतजार बेसब्री से हो रहा था वो जुलाई में तबाही मचाने लगा है. असम, बिहार और उत्तराखंड इसका जीता जागता गवाह है. देश को आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले महाराष्ट्र का हाल भी जुदा नहीं है, क्योंकि यूपी हो या बिहार सब में सैलाब का अत्याचार जारी है.मानसून आते ही उत्तराखंड में तबाही का सिलसिला शुरू हो गया है. उत्तराखंड की तमाम नदियां उफान पर है. जगह-जगह लैंडस्लाइड हो रही है. 90 से ज्यादा छोटी बड़ी सड़कें बंद पड़ी है. क्या पहाड़, क्या मैदान.सब इस सैलाब के आगे बेबस है. आसमान से बारिश नहीं आफत बरस रही है. उत्तराखंड में गाड़ियां, बाइक बह रही हैं. बिहार में और भी बुरा हाल है. यहां पुल बह जा रहे हैं. बारिश का सबसे ज्यादा कहर इस वक्त अगर कोई झेल रहा है तो वो उत्तराखंड है. जहां दो दिन की बारिश ने देवभूमि की तस्वीर बिगाड़ कर रख दी है. सबसे भयाभय तस्वीर रामनगर से आई है जहां जो पुल भतरौंजखान, भिकियासैंण, रानीखेत, अल्मोड़ा, कर्णप्रयाग को जोड़ता था, वो बारिश में की भेंट चढ़ गया है. तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि कैसे नाला उफान पर बह रहा है और तभी पुल दो हिस्सों में टूट जाता है. इस  पुल के टूटने से लोगों का संपर्क आपस में टूट गया है. कई यात्री फंस गए हैं. हालांकि गनीमत ये रही कि जिस वक्त पुल धंसा उस वक्त कोई उस पर नहीं था. नहीं तो बड़ा हादसा हो सकता था. बारिश आती है तो मायानगरी मुंबई सहम सी जाती है और इस बार कुछ ज्यादा ही सहमी है, क्योंकि मुंबई हो या नवी मुंबई...हर जगह पानी और सिर्फ पानी है. सबसे बुरा हाल मुंबई से सटे ठाणे का है. जहां बाढ़-बारिश ने पूरा शहर को बंदी बना लिया है. वहीं बिहार की नदियां भी अपना आपा खोने लगी हैं. मौसम विभाग ने 5 राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है, जिससे आने वाले दिनों में बाढ़ का खतरा और बढ़ सकता है. क्योंकि यूपी की ज्यादातर नदियां खतरे के निशान के करीब आ गई हैं. कोई जगह हालात बाढ़ जैसे हैं. बिहार का शोक कहे जाने वाली कोसी नदी खतरे के निशान पर बह रह है. शनिवार को कोसी बैराज से 3 लाख से ज्यादा क्यूसेक पानी छोड़ा गया था, जिससे नदी का जलस्तर रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया है लेकिन आसपास के इलाके में खतरा मंडराने लगा है.