बाबा अपने भक्तों से एक रुपया नहीं लेते थे, लेकिन बाबा का साम्राज्य शहर-दर-शहर फैला हुआ है. भक्तों के बीच ये बाबा कई नाम से जाने जाते हैं- नारायण साकार हरि, विश्व हरि, भोले बाबा... लेकिन इनका असली नाम सूरजपाल सिंह जाटव है. उम्र करीब 58 साल बताई जा रही है. 

दरअसल, कथावाचक सूरजपाल सिंह जाटव अलग अंदाज भी लिए जाने जाते हैं. वेश-भूषा देखकर कोई नहीं कह सकता है कि ये बाबा हैं, और कई राज्यों में इनके हजारों भक्त हैं. अब धीरे-धीरे बाबा की पोल खुल रही है. हाथरस वाले हादसे के बाद एफआईआर तो दर्ज हो गई है, लेकिन एफआईआर में बाबा का नाम नहीं है. एफआईआर में नाम न होने के बावजूद हादसे के बाद बाबा फरार है और पुलिस उसे सरगर्मी से तलाश रही है. 

फिलहाल बाबा के भक्त उत्तर प्रदेश के अलावा उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के अलावा देश के दूसरे हिस्सों में भी मौजूद हैं. जो सत्संग में आशीर्वाद लेने पहुंचते थे. सूरजपाल सिंह जाटव एटा जिले से अलग हुए कासगंज के पटियाली के बहादुरनगर गांव के निवासी हैं. वैसे बाबा का अब अपने गांव आना-जाना कम रहता है. लेकिन बहादुरनगर बाबा की जन्मस्थली के रूप में मशहूर है, जहां रोजाना लोगों की बड़ी भीड़ पहुंचती है. यहां बाबा का बड़ा साम्राज्य है. 

बहादुरनगर में बाबा चैरिटेबल ट्रस्ट है, यहां सैकड़ों लोग काम करते हैं. ट्रस्ट के एक सदस्य ने 'आजतक' को बताया कि बाबा के नाम पर यहां 20-25 बीघा जमीन है, जहां खेती होती है. इसके अलावा ट्रस्ट के लोगों का यहां आने वाले भक्तों को कोई दिक्कत न हो, इस काम को देखते हैं. बहादुरनगर ट्रस्ट में बड़ी संख्या में महिला सेवादार भी हैं. उत्तर प्रदेश के नोएडा में बाबा का आश्रम बताया जा रहा है. इसके अलावा सूबे कई राज्यों में भी बाबा के ठिकाने हैं. 

दिलचस्प ये भी है कि कथित भोले बाबा अपने भक्तों से कोई दान, दक्षिणा या चढ़ावा नहीं लेते हैं. लेकिन इसके बावजूद उनके कई आश्रम स्थापित हो चुके हैं. उत्तर प्रदेश में कई दूसरे स्थानों पर स्वामित्व वाली जमीन पर आश्रम स्थापित करने का दावा भी किया जा रहा है. खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में बाबा के कई एकड़ जमीन पर आश्रम हैं, जहां लगातार सत्संग के कार्यक्रम चलते रहते हैं. बाबा के अनुयायियों में सबसे बड़ा वर्ग अनुसूचित जाति-जनजाति और ओबीसी वर्ग का है.

स्वंयभू 'भोले बाबा' पहले आगरा के एक छोटे से मकान में रहते थे. अब उस मकान को मंदिर का दर्जा दे दिया गया है. लोग अब उस ताला लगे मकान को बाबा की कुटिया कहते हैं. लेकिन आसपास के लोगों की मानें तो ये बाबा का सेफ हाउस भी है. जहां बाबा अक्सर आते हैं और आराम करते हैं. हालांकि वैसे आमतौर पर इस मकान पर ताला ही लगा रहता है.