देश में लोकसभा चुनाव परिणामों में भले ही बीजेपी को राजस्थान में काफी नुकसान हुआ है, लेकिन फिर भी केंद्र की सियासत में राजस्थान का अभी भी दबदबा बना हुआ है। राजस्थान के दो नेता प्रोटोकॉल में टॉप 6 पोजीशन में शामिल हैं। इनमें भारत के उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़ और हाल ही में दूसरी बार लोकसभा स्पीकर बने ओम बिरला शामिल हैं। इसके अलावा मंत्रिमंडल की बात करें तो 11 सीटें हारने के बाद भी पीएम मोदी ने राजस्थान को पूरा तवज्जो दिया है। उन्होंने राजस्थान से चार केंद्रीय मंत्री बनाए। इसको लेकर सियासत में जमकर चर्चा है। राजनीतिक जानकार इस समीकरण को लेकर अपने-अपने मायने निकाल रहें हैं। इस रिपोर्ट के जरिए राजस्थान की सियासत के लिए पीएम मोदी के बड़े संकेत को समझने की कोशिश करते हैं। लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में राजस्थान ने बीजेपी को 25-25 लोकसभा सीटें जीतकर पीएम मोदी को बड़ी सौगात दी थी। इसके कारण पूरे देश में राजस्थान का दबदबा माना गया, लेकिन इस चुनाव में बीजेपी को कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के हाथों काफी नुकसान पहुंचा। मिशन 25 का अभियान लेकर चल रही भाजपा को राजस्थान से केवल 14 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। ऐसे में यही माना जा रहा था कि इस बार सहयोगी गठबंधन दलों के कारण राजस्थान को उतना तवज्जो नहीं मिलेगा, लेकिन यह सब कयास पीएम मोदी के सामने झूठे साबित हुए। सियासी चर्चा है कि पीएम मोदी ने केंद्र की सियासत में राजस्थान को पहले जितना तवज्जो देकर यही संकेत देने की कोशिश है कि कोई कितना भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश करे लेकिन वह झुकने वाले नहीं है। भले ही राजस्थान में बीजेपी की सीटें कम आई हो लेकिन आज भी देश में उतना ही दबदबा है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पीएम मोदी शायद इस फैसले के माध्यम से संकेत दे रहे है कि राजस्थान में उन्होंने भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया है तो उनका निर्णय बदलने वाला नहीं है। बता दें कि पिछले दिनों से बीजेपी के नेता भजनलाल सरकार को घेरते हुए इशारों में नेतृत्व बदलने की मांग कर रहे हैं।