भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने पार्टी से बागी होकर कांग्रेस के टिकट पर चूरू से सांसद बने राहुल कस्वां के बारे में कहा कि वह इतने बड़े नेता नहीं हैं कि उनका टिकट कटने मात्र से पांच-पांच संसदीय क्षेत्र में पार्टी चुनाव हार जाए। राठौड़ ने मंगलवार को यहां भाजपा कार्यालय में आपातकाल के 50 साल पूरे होने के कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने इस मौके पर मीडिया से बात करते हुए कस्वां के टिकट कटने के सवाल पर कहा कि टिकट देना नहीं देना संसदीय बोर्ड तय करता है। टिकट जिसे भी मिलता, वह उसके लिए काम करते। चाहे राहुल कस्वां हो या कोई नेता। राठौड़ ने कहा कि भाजपा ने कस्वां परिवार को 14 बार लोकसभा, विधानसभा, जिला प्रमुख एवं प्रधान का टिकट दिया है। एक बार टिकट नहीं मिला और कांग्रेसी नेता राहुल गांधी की गोद में जाकर बैठ गए। उन्होंने कहा, राहुल कस्वां कहते थे कि मेरा नाम भी राहुल है और कांग्रेस नेता का नाम भी राहुल है। मुझे मेरा नाम लेने में शर्म आती है। राठौड़ ने देवी सिंह भाटी को लेकर कहा कि वे ताजा-ताजा पार्टी में आए हैं। उनका यकायक ज्ञान बढ़ गया, इसलिए उन पर कुछ नहीं कहना। उन्होंने कहा, चूरू में हार को मैंने खुद की जिम्मेदारी मानते हुए स्वीकार किया है। रही बात चूरू के कारण अन्य सीट हारने की तो राहुल कस्वां इतने बड़े नेता नहीं है कि उनके कारण पांच-पांच सीट प्रभावित हुईं। पिछली सरकार के बनाए गए जिलों को लेकर कहा कि जैसे बारिश में ओले गिरते हैं, वैसे ही जिले टपक पड़े। अब तक यह पता नहीं चला है कि कोटपूतली और बहरोड़ में से कौन सा जिला है। इस पर समीक्षा होनी चाहिए और होगी।