(ये पोस्ट जारी किए वायरल वीडीओ का सार हैं।)
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मानसिक विक्षिप्त बहरूपिए इन मासूम बच्चों में भी न जानें कौनसा फ़र्क देख इसे नफरत से उजागर करते हैं।
ये नफरती लोग धर्म मजहब की आड़ में दोनों ही परिवारों के लिए किसी कैंसर से कम नहीं हैं।
क्योंकि
दोनों तरफ़ एजेंडे चल रहे हैं।
लेकिन
ये एजेंडे प्रभु के आगे नहीं चलेंगे, न अल्लाह के रसूल पर।
क्योंकि वो दो तुम्हारें लिए हैं।
जबकि प्रकृति तो एक ही हैं।
मूर्खों की समझ से बाहर है कि इंसान को कांटे या जानवर को, खून तो एक ही बहेगा।
चीख पुकार तो एक ही सी निकलेगी।
दर्द तो एक समान होगा।
और
जब वो सुनेगा तो न्याय बराबर होगा।
ये जो मासूम हैं दोनों तरफ़ के इन्हें पता नहीं हैं, असल हिंसा क्या हैं?
इन्हें बचपन से सिखाया गया तुम हिंदू हो, तुम मुस्लमान हो, तुम इसके कट्टर और तुम ऐसे कट्टर हो, लेकिन उसे नहीं कहां गया कि तुम इंसान हैं।
उसे पैदा होने से लेकर , मरने तक इसी भ्रम में रखा गया कि, तुम इंसान नहीं कुछ और हो।
इस बच्चे को वायरल वीडीओ में अल्लाह को अपनी प्रिय चीज समर्पण की बात कहीं गई हैं । लेकिन मुसलमान ये समझ नहीं पाया कि वो जानवर तो अपनी मां का प्यारा है, तुम्हारा प्यारा तो धन दौलत, वैभव, सुख, चैन, घमंड, ईर्ष्या, अपराध ये सब है, इन में चोरी डकैती लूट पाट, हत्या, क्या खुदा को समर्पित किया तुमने?
घर घर जाकर देखों मुसलमान भी सुकून में नहीं।
भोग रहा हैं कर्मों को, क्योंकि बकरे की कुर्बानी तो मोहम्मद की थी, लेकर गए थे बेटा उसे खुदा ने बकरा किया।
तुम्हारे मजहबी ठेकेदारों ने तुम्हें मोहम्मद के सच से दूर रखा, मोहम्मद ने जानवर के बच्चे, बकरे की कुर्बानी नहीं कहा था, और न कहा था कि इसे काटो पकाओ खाओ और अपनों में बांटना।
उसने कहा था जो सब तुम्हारा अहंकार है उसे खुदा को कुर्बान करना, वो तुम्हें जो देगा उसे तुम बांटना, तुम तो खुद मोहम्मद बने घूम रहे हों। तुम्हारी औकात नहीं मोहम्मद बन सकों।
मोहम्मद की राह आसान नहीं हैं।
जिसने उसे जाना, वो सच्चा इंसान हैं।
उस के हाथ में कभी हथियार नहीं, कभी हिंसा नहीं, उसके मुंह में सिर्फ़ अल्लाह का नाम हैं।
और उसके सिवा कोई दूसरा उसका काम नहीं।
ये इस्लाम हैं।
मोहम्मद की खूबी तो गुरु नानक देव ने भी व्यक्त की, और बोले अल्लाह के नेक बंदे ये बता, अल्लाह कहा नहीं है।
बताओ मुसलमान भाइयों, क्या बकरे के भीतर अल्लाह नहीं हैं ?
जिन बेगुनाहों को तुम मारना काटना आसान समझते हों, वो गुनाह देखता अल्लाह चारों दिशाओं , धरती, आकाश, पाताल, तुम्हारे दिलों दिमाग में नहीं हैं।
वो हर जगह हैं।
तुम ये सोचों, तुम दुआ में हाथ उठाकर उसे पा सकते हो तो हिंसा क्यूं ?
इधर इस बच्ची को इंगित किया गया कि महादेव के नंदी के कानों में सबकी खुशहाली की बात कर रही हैं।
ये दिए गए संस्कार का प्रतीक हैं।
सर्वे भवन्तु सुखिन:
भारत के हिंदू परिवार सबके सुख की बात करता हैं, इन्हें पूछों ज़रा कितने लोग सुखी रह पा रहे?
इनके आदर्श, आचरण, झूठे और खोखले होते जा रहे हैं।
जितना जहर इनमें भी भरा वो साफ झलक आता हैं।
जब ये अपने अपने मतलब से देवता बदलते हैं।
ये भी कम नहीं हैं, काम हो जाने पर उस परम सत्ता, परम पिता को सवा किलो लड्डू, सवा मणि से तोलने की बात करते हैं।
इनके दान धर्म का कांटा, मानवता की ओर झुकता ही नहीं, ये स्वयं को महान और विश्व गुरु कहते हैं। लेकिन शिष्य धर्म की औपचारिकता कर पाएं वो भी औकात नहीं।
ये भी चाहते हैं राम , कृष्ण, शिव केवल हमारी सुनें, और बताओ इन में से किसने विधाता की सुनी।
अपने अपने कसीदे गढ़े जा रहे हैं।
लेकिन
इंसान नहीं बन पा रहे।
मुसलमान से नफरत, जैन, बौद्ध, पारसी, सिख, फिर जातियां,सब आपस में कट्टर पंथी बने घूम रहे, लेकिन अपने मार्ग दर्शक आराध्य की भी न सुन सके।
उसने कहा मैं कहां नहीं हूं।
सर्व व्यापक हूं।
तो बताओ तुमने कौनसी नफरती हिंसा के विचारों का त्याग किया?
मासूम बच्चों को बाल पन में जो भी मिलेगा वो वहीं झुकेगा, फ़र्क इतना हैं कि तुम उसे धर्म और मज़हब की आंख से देखना पसंद करते हो, परमात्मा उसे कर्म और गुणों से स्वीकार करता हैं।
जय श्री कृष्णा
जय हिंद