जनता से जुड़े 10 विधेयक राजस्थान विधानसभा से पारित होने के बावजूद दिल्ली में अटके हुए हैं। इससे धर्मान्तरण पर सख्ती वाला धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 16 साल से अधर में है और इसमें लव जिहाद जैसा प्रावधान जोड़कर नए सिरे से लाने पर विचार हो रहा है। वहीं, बिरादरी में प्रतिछा के नाम पर ही रही ऑनर किलिंग रोकने, मिलावटखोरों पर शिकंजा कसने के लिए उम्रकैद और किसानों की पांच एकड़ तक की भूमि को कुर्की से बचाने जैसे प्रावधान लागू नहीं हो पा रहे हैं। एक जुलाई से नए आपराधिक कानूनों के लागू होने के कारण दिल्ली में विचाराधीन विधेयकों की उपयोगिता पर भी नए सिरे से मंथन करना पड़ सकता है। वहीं, प्रदेश को अब अटके विधेयकों के संबंध में डबल इंजन सरकार का फायदा मिल सकता है। गुजरात की तर्ज पर तैयार विधेयक 20 मार्च 2018 को विधानसभा ने पारित किया, जो दिल्ली में विचाराधीन है। इसे भजनलाल सरकार वापस लेने की तैयारी में है। इसके लिए उत्तर प्रदेश विधि-विरूद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 की तर्ज पर विधेयक पर मंथन शुरू हो गया है। हले धर्म स्वातंत्र्य विधेयक वापस लेने के लिए विधानसभा से विधेयक पारित करना होगा। इसके बाद नए कानून के लिए विधेयक पारित करना होगा।
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