धुला कांड : आरोपी तत्कालीन धुला थाना प्रभारी उत्पल बोरा नौकरी से बर्खास्त
ज़िले के धुला में एक आदिवासी किशोरी की दुष्कर्म एव हत्या की घटना को पैसा लेकर आत्महत्या का रूप देने के प्रयास में जेल गए ज़िले के धुला पुलिस थाना के तत्कालीन प्रभारी उत्पल बोरा को जाँच प्रक्रिया के पश्चात जीरो भ्रस्टाचार के नीति पर चलते हुए असम पुलिस ने आख़िरकार नौकरी से बर्खास्त कर दिया राज्य के पुलिस प्रमुख जी पी सिंह ने आज सामाजिक माध्यम द्वारा इस बाबत जानकारी दी उल्लेखनीय है कि वर्ष 2022 के 11 जून को सहस्त्र सीमा बल बेजपारा में कर्मरत कृष्ण कमल बरुआ ने थाना में सूचित किया क़ि उसके घर में कार्य करने वाली किशोरी ने गले में फंदा लगा कर आत्महत्या कर लिया है पुलिस जब घटना स्थल पर पंहुचा तो किशोरी का शव बरामदा पर पड़ा था साथ ही घर के अंदर एक पंखा से एक कपड़ा लटक रहा था पुलिस ने तत्काल दण्डाधिश को सूचित किया और दण्डाधिश के रूप में आशीर्वाद हजारिका घटना स्थल पर पहुंच कर शव का इन्क्वेस्ट किया और अपने रिपोर्ट में आत्महत्या करार देकर अपना दाइत्व सम्पूर्ण कर लिया इसके पश्चात पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए मंगलदे असामरिक चिकित्सालय में प्रेरण कर दिया पोस्टमार्टम के क्रम में चिकित्सक ने दुष्कर्म का संदेह करते हुए मृत शरीर का कई अंग के साथ किशोरी का अंडर गारमेंट को फोरेंसिक में जाँच के लिए भेज दिया इसके पश्चात पुलिस ने शव को मृतक के पिता को सौप दिया मृतक के पिता ने दुष्कर्म और हत्या का आरोप लगाते हुए थाना में इजहार देना चाहा लेकिन पुलिस ने मृतक के पिता को धमकी देकर थाना से भगा दिया मृतक के पिता ने जब शव लेकर अपने गाँव पंहुचा तो गाँव में ब्यापक प्रतिक्रिया हुई और मृतक का अंतिम संस्कार किया गया इधर इस घटना को लेकर आदिवासी संगठनों ने अगले दिन 12 जून को मृतक के पिता को लेकर धुला थाना पंहुचा और दुष्कर्म और हत्या का आरोप लगाते हुए कृष कमल बरुआ और राजू नाथ के बिरुद्ध मामला दर्ज कराया संगठनों के दबाब पर थाना के तत्कालीन प्रभारी उत्पल बोरा ने केस संख्या 114/2022 धारा 376/302 IPC के तहत मामला दर्ज कर लिया उसी वक्त आदिवासी नेता तेहरु गौर ने आरोप लगाया था क़ि प्रथम काल से ही थाना प्रभारी उत्पल बोरा इजहार को लेकर खुश नहीं था और मामला दर्ज कर जाँच को ठंढा बस्ता में डाल दिया तत्कालीन प्रभारी उत्पल बोरा के कर्मकांड को देखते हुए आदिवासी संगठन के नेताओं ने ज़िले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक सहित अन्य शीर्ष पुलिस अधिकारियो से इस मामले की शिकायत की लेकिन किसी अधिकारी ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया लेकिन कहता है कि सच एक न एक दिन बाहर आती ही है और इस दुष्कर्म और हत्या और नाइंसाफी की बात जब मुख्यमंत्री डॉ हिमंत विश्व शर्मा के कानो तक पंहुचा तब मुख्यमंत्री ने सर्वप्रथम ज़िले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राज मोहन रॉय और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रूपम फुकन के साथ साथ धुला थाना के तत्कालीन थाना प्रभारी उत्पल बरूवा को निलंबित करते हुए इस मामले की जाँच CID को करने को दी CID ने जाँच तेजी से करते हुए पुलिस अधीक्षक राज मोहन रॉय , अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रूपम फुकन , थाना प्रभारी उत्पल बरुवा , दण्डाधिश आशीर्वाद हजारिका सहित पोस्टमार्टम करने वाले तीन चिकित्सको भी जेल भेजा और जाँच प्रक्रिया के पश्चात पुलिस ने गत 6 अप्रैल को तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राज मोहन रॉय को नौकरी से बर्खास्त कर दिया और आज बिभागीय जाँच के पश्चात निरीक्षक उत्पल बोरा को नौकरी से बर्खास्त कर दिया