राजस्थान सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में बताया कि वह राज्य में अवैध तरीकों से धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून लाने की प्रक्रिया में है. शीर्ष अदालत में दायर अपने हलफनामे में राज्य सरकार ने कहा, 'राजस्थान राज्य अपना कानून लाने की प्रक्रिया में है और तब तक वह इस विषय पर कानून, दिशानिर्देशों या माननीय न्यायालय द्वारा पारित निर्देशों का सख्ती से पालन करेगा. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भरत लाल मीणा का हलफनामा 2022 की एक जनहित याचिका में दायर किया गया था. वकील अश्विनी उपाध्याय ने अधिवक्ता अश्विनी दुबे के माध्यम से एक जनहित याचिका दायर कर केंद्र और राज्य सरकारों को "धोखाधड़ी, धमकी, धोखे से उपहार और मौद्रिक लाभ का लालच देकर धर्म परिवर्तन और धर्म परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने" के लिए निर्देश देने की मांग की थी. शीर्ष अदालत ने कहा था कि जबरन धर्म परिवर्तन, यदि सच है, तो एक "गंभीर मुद्दा" है जो राष्ट्र की सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है, और केंद्र से प्रतिक्रिया मांगी थी. याचिका में अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ की गई कुछ कथित अपमानजनक टिप्पणियों पर स्पष्ट रूप से ध्यान देने के बाद शीर्ष अदालत ने मामले का शीर्षक 'अश्विनी उपाध्याय बनाम राज्य' से बदलकर "इन री: द इश्यू ऑफ रिलीजियस कन्वर्जन" कर दिया. पीठ के पास उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों के धर्मांतरण विरोधी कानूनों को इस आधार पर चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाएं भी हैं कि वे कथित तौर पर एक विशेष अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति भेदभावपूर्ण हैं.