कोतूहल का विषय बने टिटहरी के 7 अंडे

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किसानों ने माना भारी बरसात या किसी प्राकृतिक घटना का शगुन

बून्दी। इन दिनों हाड़ौती सहित पूरे प्रदेश व उत्तर भारत में भीषण गर्मी का दौर चल रहा है और प्रशासन, आम जनता व किसान अच्छी बरसात को लेकर उम्मीद लगाए बैठे है। जून माह की शुरूआत में किसान रोहणी नक्षत्र में नोतपा के तपने के साथ टिटहरी के अंडों की संख्या को भी भरपूर या कम बरसात का शगुन मानते हैं। बून्दी जिले के गुढ़ानाथावतान कस्बे के निकट गुढ़ा फार्म के एक खेत में इस बार  टिटहरी ने 7 अंडे दिए हैं जो किसानों व ग्रामीणाों में कोतूहल का विषय बने हुए है। जानकारी के अनुसार किसान पृथ्वीराज सिंह खींची के खेत की मेड़ पर एक टिटहरी ने 7 अंडे दिए है। खेत पर काम करने वाले व यहीं पर निवास करने वाले युवक बबलू प्रजापत ने बताया कि एक टिटहरी का जोड़ा है जिसने 7 अंडे दिए। उसने इनकी नियमित मोनिटरिंग भी की ओर आसपास के किसानों को भी बताया जो पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। किसान इसे अतिवृष्टि होने का संकेत भी मान रहे हैं। 2 वर्ष पूर्व भी इसी इलाके में टिटहरी ने 5 अंडे दिए थे और संयोग से उस साल भारी बारिश भी हुई। वैसे मोसम विभाग हर साल मोसम की भविष्यवाणी करता है और उसी के अनुसार बारिश भी होती है। इन सालों में बारिश का पूर्वानुमान भी सटीक  बैठ रहा है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में परम्परागत रूप से अभी भी बारिश को लेकर धारणाएं बनी हुई है जिनपर ग्रामीण विश्वास भी करते हैं। मानसून के अनुमान में कई जगह पर टिटहरी के अण्डों से किसान बारिश का शगुन देखते हैं। जिले में इस बार  आश्चर्यजनक रूप से पहली बार टिटहरी ने  7 अंडे दिए हैं जो एक रिकॉर्ड है। आमतौर पर टिटहरी 3 या 4 अंडे ही देती है और किसान इसके अंडों की संख्या के अनुसार उतने महीने बरसात का अनुमान लगाते है। एक तरफ जहां ज्योतिषशास्त्री रोहणी नक्षत्र व मौसम वैज्ञानिक मौसम विज्ञान के आंकड़ों के आधार पर मौसम की भविष्यवाणी करते हैं, वहीं प्राकृतिक जीव-जंतु भी भविष्य की सूचनाएं देने में पीछे नहीं हैं। लोकमान्यता के अनुसार, टिटहरी का 4 या अधिक अंडे देना बारिश के लिहाज से शुभ संकेत माना जाता है। ग्रामीण मानते हैं कि टिटहरी जितने अंडे देती है, उतने ही महीने में बारिश होती है। टिटहरी एक ऐसा पक्षी होता है जो कभी पेड़ पर नहीं बैठता और गर्मी के दिनों में मानसून आने से पहले जमीन पर ही अंडे  देता है। इसके अंडों से किसान यह अंदाजा लगाते हैं कि मानसून किस प्रकार का रहेगा। सदियों से किसान बारिश होने और नहीं होने का अंदाजा टिटहरी के अंडों से भी लगाते आ रहे हैं  और कभी कभी यह अंदाजा काफी हद तक सटीक भी बैठता है हालांकि यह महज संयोग भी हो सकता है। भले ही आज विज्ञान इस बात को न माने, पर किसान इसी तरह से वर्षा का अनुमान कर खेती किसानी में करते हैं। टिटहरी के 7 अंडे देने की घटना को पर्यावरण संरक्षण से जुड़े व पक्षी विशेषज्ञ भी अदभुत घटना मान रहे हैं। 

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पशु-पक्षी संभावित प्राकृतिक घटनाओं के प्रति बेहद संवेदनशील एवं  संदेशवाहक भी होते है। बून्दी जिले में टिटहरी के 7 अंडे देना प्राणी जगत की निराली घटना है जो अध्ययन करने योग्य है। वैसे प्रकृति में कुछ भी असंभव नहीं है।

डॉ सतीश शर्मा, वन विभाग के पूर्व अधिकारी एवं वन्यजीव  विशेषज्ञ