राजस्थान की भाजपा सरकार अब बजट में पुरानी पेंशन योजन बंद करने का विचार कर रही है. केंद्र की भाजपा सरकार भी ओपीएस जारी रखने के पक्ष में नहीं है. केन्द्रीय वित्त मंत्रालय, नीति आयोग और वित्त आयोग की रिपोर्ट भी ओपीएस के पक्ष में नहीं है. कांग्रेस सरकार राजस्थान के बाद छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश ने OPS शुरू की थी. भाजपा शासित किसी भी राज्य में ओपीएस नहीं लागू है. गहलोत सरकार ने 1 अप्रैल-2004 के बाद सरकारी सेवा में आए अधिकारियों-कर्मचारियों को पहले की तरह पेंशन लाभ देने के लिए योजना शुरू की थी. नई पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के बाद प्रतिमाह पेंशन राशि मिलने का प्रावधान नहीं था. भाजपा ओपीएस के पक्ष में  नहीं है. देश के करीब 17 राज्या में भाजपा की सरकार है और केंद्र में लगातार तीसरी बार भाजपा एनडीए की सरकार बन चुकी है. ऐसे में भाजपा के लिए ओपीएस गले की फांस बनी हुई है. वो इसे राजस्थान में लागू रखती है, तो उसे नैतिक तौर पर अन्य राज्यों के सरकारी कर्मियों के लिए भी लागू करना पडे़गा. ऐसे में भाजपा सरकार 17 राज्यों और केंद्र सरकार के विभागों में लागू करने के बजाय राजस्थान में बंद करने का निर्णय कर सकती है, जिससे उसकी नीति पूरे देश में एक रूप से रह सके. केंद्रयी वित्त मंत्रालय, नीति आयोग और वित्त आयोग पहले ही ओपीएस को देश और प्रदेश के आर्थिक-वित्तीय संसाधनों के लिए घातक बता चुक हैं. ऐसे में एक्सपर्ट भी बता रहे हैं कि राजस्थान में ओपीएस अधिक दिनों तक नहीं रहेगी.